World Power India: हिंद से प्रशांत महासागर तक होगा बढ़ते भारत का वर्चस्व, चीन भी छूटेगा पीछे
World Power India: भारत को भले ही विकसित देशों की श्रेणी में शुमार होने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन उसके बढ़ते वर्चस्व को आज पूरी दुनिया सलाम ठोंक रही है। विश्व की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने के बाद से भारत की धाक दुनिया में और भी अधिक बढ़ गई है।
Highlights
- अब दुनिया देखेगी बदलते हिंदुस्तान की ताकत
- विश्व का अगुआ बनने की राह पर चला भारत
- हिंदुस्तान के बढ़ते कदम से जल रहा चीन
World Power India: भारत को भले ही विकसित देशों की श्रेणी में शुमार होने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन उसके बढ़ते वर्चस्व को आज पूरी दुनिया सलाम ठोंक रही है। विश्व की सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बनने के बाद से भारत की धाक दुनिया में और भी अधिक बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व का कमाल ही है कि आज हिंदुस्तान ने वैश्विक चुनौतियों से लोहा लेते हुए दुनिया के मानस पटल पर अपनी अलग पहचान बना ली है। आधुनिक भारत अब दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के लिए सबसे बड़ा बाजार और उनकी जरूरत बन गया है। सिर्फ आर्थिक तौर पर ही नहीं, सामरिक दृष्टि से भी हिंदुस्तान ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि अब उसके सामने दुनिया का कोई भी ताकतवर देश आंख उठाने की जुर्रत नहीं कर पाएगा। इस दौरान भारत अपना वर्चस्व हिंद से लेकर प्रशांत महासागर के क्षेत्र में और अधिक बढ़ाने वाला है। तब चीन भी उससे बहुत पीछे छूट जाएगा।
भारत ने यह मुकाम ऐसे वक्त में हासिल किया है, जब श्रीलंका आर्थिक रूप से तबाह हो चुका है, पाकिस्तान बर्बादी की राह पर खड़ा है। इतना ही नहीं चीन, अमेरिका, इंग्लैंड समेत कई अन्य मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों की भी आर्थिक हालत खस्ता होती जा रही है। ऐसे वक्त में भी भारत ने दिखा दिया है कि उसकी वैश्विक ताकत क्या है। भारत ने पूरी दुनिया को यह एहसास करा दिया है कि वह सभी की जरूरत है। वह वैश्विक लीडर है। क्योंकि उसमें अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की भी जबरदस्त क्षमता है।
समुद्री क्षेत्र का दायरा बढ़ाना भारत की जरूरत
नित तरक्की के नये-नये आयाम लिखता जा रहा भारत अब अपने समुद्री क्षेत्र का दायरा भी बढ़ाएगा। अब उसका वर्चस्व सिर्फ हिंद महासागर तक ही नहीं, बल्कि हिंद से लेकर प्रशांत महासागर समेत अन्य महासागरों तक भी होगा। यह भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत का परिचायक बनेगा। विदेशमंत्री एस जयशंकर स्वयं इस बात को कह चुके हैं कि जब हम समुद्री हितों की बात करते हैं तो हमारा दायरा सिर्फ हिंद महासागर तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि हम प्रशांत महासागर समेत अन्य महासागरों की भी बात कर रहे होते हैं। क्योंकि दुनिया के अन्य देश भी इन क्षेत्रों को ध्यान में रखकर ही अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसलिए हमें भी अपने हितों को ध्यान में रखकर समुद्री क्षेत्र का दायरा बढ़ाना होगा।
प्रशांत महासागर के जरिये भारत का 50 फीसद व्यापार
विदेशमंत्री एस जयशंकर के अनुसार भारत का 50 फीसद से अधिक व्यापार जो पूर्वी देशों से किया जाता है, उसका रास्ता प्रशांत महासागर से ही होकर जाता है। प्रशांत महासागर हिंद महासागर से जुड़ता हुआ क्षेत्र है। इसलिए जब हमारे हितों का दायरा बढ़ रहा है तो सोच भी बड़ी रखनी होगी। इसलिए भारत को अपने समुद्री क्षेत्र के विस्तार की जरूरत है और उसे इसका पूरा अधिकार है। क्योंकि वह दुनिया की जरूरतों को पूरा कर रहा है।
भारत का समुद्री क्षेत्र
वर्ष 1976 के समुद्री अधिनियम के तहत भारत का मौजूदा समुद्री क्षेत्र 2.01 लाख वर्ग किलोमीटर है। भारत को इस क्षेत्र में समस्त जीवित और अजीवित संसाधनों के अन्वेशषण और दोहन करने का पूरा अधिकार है। अभी भारत के पास हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का कुछ क्षेत्र है। जोकि हिंद महासागर का ही पश्चिमोत्तर भाग है। मगर अब भारत प्रशांत महासागर तक अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है।
भारत के बढ़ते वर्चस्व से घबराया चीन
जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के कद के साथ भारत का जलवा पूरी दुनिया में बिखरता जा रहा है, उससे चीन भी हैरान है। बात चाहे आर्थिक तरक्की की हो, वैज्ञानिक तरक्की की या फिर सामरिक ताकत की। सभी क्षेत्रों में हिंदुस्तान का डंका पूरी दुनिया में बजने लगा है। भारत के दुनिया में बढ़ते प्रभाव से जहां विश्व के ताकतवर देश हमसे दोस्ती को प्रगाढ़ करने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चीन को जलन हो रही है। क्योंकि चीन को अब भारत से पीछे छूटने का डर सताने लगा है। दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद अब विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की हुंकार भी देश ने भर दी है। ऐसे में चीन की चकरा गया है।