India Sri Lanka: चीन के जासूसी जहाज युआन वांग 5 को मंजूरी देकर भारत के साथ 'विश्वासघात' करने वाले श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आखिरकार एक कड़वा सच स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा है कि हिंद महासागर को वास्तव में सुरक्षा देने वाला भारत ही है। हमने अभी तक हिंद महासागर में प्रभुत्व की लड़ाई को दूर ही रखा है, लेकिन अब संतुलन बनाकर रखना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने चिंता जताई कि महाशक्तियों के लिए अपनी ताकत दिखाने का अगला ठिकाना हिंद महासागर हो सकता है। इससे पहले भारत और अमेरिका ने कंगाल श्रीलंका से अनुरोध किया था कि चीन के जासूसी जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह रुकने की मंजूरी न दे। लेकिन रानिल विक्रमसिंघे की सरकार ने चीन के दबाव के आगे घुटने टेक दिए और जहाज की बंदरगाह की यात्रा के लिए हामी भर दी।
अमेरिकी मैगजीन इकॉनमिस्ट के साथ बातचीत में रानिल विक्रमसिंघे ने ताइवान संकट की तरफ इशारा करते हुए कहा, 'नैंसी पेलोसी ने खुद ही संकट खड़ा किया है।' अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन अमेरिका पर बुरी तरह भड़का है और ताइवान के आसपास लगातार चौतरफा युद्धाभ्यास कर रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा है, 'हम यहां ताइवान जैसा कुछ होने नहीं देना चाहते। हम इस क्षेत्र में भारत को वास्तविक सुरक्षा प्रदाता मानते हैं। उसके बाद अन्य देश यहां जितना चाहे रह सकते हैं, लेकिन तब तक ही जब तक उनकी मौजूदगी विभिन्न देशों के बीच तनाव और प्रतियोगिता उत्पन्न न करे।'
एयरक्राफ्ट मिलने के बाद दिया धोखा
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा, 'हम अब तक हिंद महासागर में प्रतिस्पर्धा से दूर रहे हैं लेकिन अब संतुलन बनाना मुश्किल होता जा रहा है।' चीनी जहाज को लेकर जारी तनाव के बीच भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर एयरक्राफ्ट सौंपा है। और जब भारत इसे अपने स्वतंत्रता दिवस के दिन यानी 15 अगस्त को श्रीलंका को सौंप रहा था, तब रानिल विक्रमसिंघे खुद भी वहां उपस्थित थे। भारत ने ये सर्विलांस एयरक्राफ्ट यानी निगरानी करने वाला विमान श्रीलंका की नौसेना को सौंपा है। लेकिन इसके अगले ही दिन श्रीलंका की सरकार ने चीनी जहाज को हंबनटोटा आने की मंजूरी देकर भारत को धोखा दे दिया।
पाकिस्तानी युद्धपोत को भी दी मंजूरी
केवल इतना ही नहीं बल्कि श्रीलंका ने पाकिस्तान के सबसे घातक युद्धपोत पीएनएस तैमूर को कोलंबो बंदरगाह पर रुकने की इजाजत देकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। दरअसल श्रीलंका चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है। श्रीलंका पर कुल 32 बिलियन डॉलर का कर्ज है, जिसमें से 10 फीसदी उसने चीन से लिया है। ऐसे भी आरोप हैं कि चीन ने पिछली राजपक्षे सरकार को खुश करने के लिए गुपचुप तरीके से ढेर सारा पैसा दिया था। लेकिन अब श्रीलंका गरीब हो गया है। वह अपनी आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इस संकट में वह चीन की वजह से ही फंसा है, लेकिन जब मदद करने की बात आई, तो चीन पीछे हट गया। जबकि भारत ने इस मुश्किल वक्त में 4 बिलियन डॉलर देकर श्रीलंका की काफी मदद की है।
भारत के साथ विशेष रिश्ता बताया
रानिल विक्रमसिंघे ने भारत को लेकर कहा है, 'श्रीलंका का भारत के साथ एक विशेष रिश्ता है, जहां हमें एक दूसरे के हितों का ध्यान रखना है। लेकिन हिंद महासागर के अधिकतर देश इस सत्ता संघर्ष से दूर रहना चाहते हैं। तो हमें इस बारे में स्पष्ट कर देना चाहिए और बताना चाहिए कि हमारी नीतियां क्या हैं।' इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति चाहे कुछ भी बात कहें, वह केवल सिद्धांतों पर ही ठीक लगती हैं, व्यवहार में नहीं और युआन वांग 5 जहाज के मामले में ये देखने को मिला है। आने वाले वक्त में ऐसे और भी मामले सामने आएंगे।
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