अफगानिस्तान में तालिबानियों के शासन को भले ही दुनिया ने स्वीकार कर लिया हो, मगर भारत अब भी इस आतंकी शासन के खिलाफ है। लिहाजा अफगानिस्तान की स्थिति को अभी भी चिंता का विषय करार देते हुए भारत ने कहा है कि एक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद से मुकाबला और अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण उसके लिए एक ‘‘तत्कालिक प्राथमिकता’’ है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने ‘अफगानिस्तान में स्थिति’ विषय पर बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित किया।
कंबोज ने कहा कि अफगानिस्तान के निकटवर्ती पड़ोसी होने, इस देश के लोगों के मित्र और शांति सुनिश्चित करने में प्रत्यक्ष हिस्सेदारी वाले देश के रूप में भारत, अफगानिस्तान में स्थिरता को लेकर अभी भी चिंतित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी साझा और तात्कालिक प्राथमिकताओं में अफगान लोगों के लिए मानवीय सहायता प्रदान करना, एक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों व अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना शामिल है।’
भारत तालिबानी सरकार को नहीं देता मान्यता
भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है और काबुल में समावेशी सरकार के गठन की वकालत कर रहा है। इसके अलावा, भारत इस बात पर भी जोर दे रहा है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। अगस्त 2021 में सत्ता पर नियंत्रण हासिल करने के बाद से, तालिबान सरकार ने महिलाओं को काम करने और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार देने के अपने पहले के वादे का सम्मान नहीं किया है। (भाषा)
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