तवांग तो सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर अभी बाकी है... चीन की 5 फिंगर पॉलिसी में भारत के 3 राज्य शामिल, क्या है पूरी साजिश?
Five Finger Policy: चीन अपनी विस्तारवाद की नीति पर तेजी से आक्रामक हो रहा है। उसने 2020 में लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी और कुछ दिन पहले 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की कोशिश की।
दुनिया भर में विवाद पैदा करने वाला चीन अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अपनी विस्तारवाद की नीति को लेकर पूरी तरह अंधा हो चुका ये देश भारत के साथ लगातार आक्रामक हो रहा है। उसके सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में घुसपैठ की, जिसके बाद उनकी भारतीय सेना के साथ झड़प हो गई। लेकिन चीन केवल भारत के साथ ही ऐसा नहीं कर रहा, बल्कि उसके दुनिया के अन्य देशों के साथ भी जमीन और पानी को लेकर विवाद हैं। उसके सभी पड़ोसी इस विस्तारवाद की नीति से दुखी हो चुके हैं। दुनिया के नक्शे पर नजर डालें, तो पता चलेगा कि चीन सबसे अधिक 14 देशों के साथ सीमा साझा करता है और लगभग सभी के साथ उसका सीमा विवाद भी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाहे भारत हो या फिर नेपाल, भूटान या तिब्बत, सभी पर कब्जे की चीन की साजिश को फाइव फिंगर पॉलिसी के नाम से जाना जाता है? ये कितनी विवादित है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चीन खुद भी आधिकारिक तौर पर इसका नाम नहीं लेता लेकिन हर वक्त इसे आकार देने की कोशिशों में जुटा रहता है। यहां जब 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता संभाली तभी से विस्तारवाद की नीति पर काम शुरू हो गया। इस सरकार के बनते ही चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा किया। गृहयुद्ध के बाद इसी समय ताइवान नाम का अलग देश अस्तित्व में आया, जिसके पीछे चीन आज तक पड़ा है और उसे अपना हिस्सा बताता है। चीन यहीं नहीं रुका, बल्कि उसने 1997 में हांगकांग और 1999 में मकाउ पर भी कब्जा कर लिया।
भारत की कितनी जमीन पर है कब्जा?
इसी साल फरवरी महीने में विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था, चीन ने लद्दाख में 38 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। ये कब्जा करीब छह दशक से है। पाकिस्तान ने 1963 में पीओके का 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चीन को दे दिया था। अब चूंकी ये भी भारत का ही हिस्सा है, ऐसे में चीन का भारत की कुल 43,180 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा है।
बीते साल की ही बात है, तब अप्रैल महीने में तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये ने चीन को लेकर एक कार्यक्रम में कहा था कि तिब्बत महज एक जरिया है। चीन का असली मकसद उन हिमालयी क्षेत्रों पर कब्जा करना है, जिन्हें वह फाइव फिंगर कहता है। चीन तिब्बत के बाद भारत की तरफ आगे बढ़ रहा है। वह इस फाइव फिंगर पॉलिसी का अपना मकसद पूरा करने के लिए ही भारत के साथ सीमा पर तनाव बनाए हुए है। उसकी इस पॉलिसी में तिब्बत एक हथेली है और इसकी अहम भूमिका है। उसने इस पर 1959 से कब्जा किया हुआ है।
चीन तिब्बत के बाद लद्दाख, नेपाल, सिक्किन, भूटान और अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने की फिराक में है। ताकि वह हिमालयी क्षेत्र में अपना एकाधिकार स्थापित कर सके। चीन ने अपने इस मकसद को हासिल करने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। तो चलिए अब उसकी इस फाइव फिंगर पॉलिसी को विस्तार से जान लेते हैं।
पहली फिंगर- अरुणाचल प्रदेश
चीन और भारत के बीच ताजा तनाव अरुणाचल प्रदेश में हुआ है। 1962 के युद्ध में चीन की सेना इस भारतीय राज्य में काफी अंदर तक घुस गई थी और उसने एक बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। आज इसी अवैध कब्जे पर उसने गांव बसा लिए हैं। ये इलाका नेफा के नाम से भी जाना जाता है। इस इलाके में किसी भी भारतीय नेता की यात्रा का चीन विरोध करता है। वह यहां के लोगों के भारतीय पासपोर्ट को मान्यता नहीं देता। जबकि चीन के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो ये साबित कर सके कि ये उसी की जमीन है। चीन का पेट अब भी नहीं भर रहा है, वो अब भी अरुणाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों को कब्जाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
दूसरी फिंगर- भूटान
भारत का शांतिप्रिय पड़ोसी देश और पूर्वी किनारे पर बसा भूटान इस पॉलिसी में दूसरी फिंगर है। इस पर चीन लंबे वक्त से दावा करता आ रहा है। भारत ने भूटान के साथ सैन्य संधि की हुई है, जिसके तहत वह इस देश को सैन्य सहायता देता है। भारत की सेनाएं यहां की सुरक्षा देखती हैं। हालांकि चीन भूटान को बेवकूफ बनाने के लिए कभी आकर्षक विदेशी निवेश तो कभी मदद देने का नाटक करता है।
तीसरी फिंगर- सिक्किम
सिक्किम भारत का एक अहम हिस्सा है, जो दिखने में भी बेहद खूबसूरत है। लेकिन ये स्वतंत्रता के समय इसका हिस्सा नहीं था। बल्कि इसका साल 1975 में भारत में विलय किया गया था। तब चीन ने इसका काफी विरोध किया था। लेकिन वो अपनी किसी भी चाल में कामयाब नहीं हो पाया। आज के वक्त में चीन सिक्किम पर अपना दावा करता है और चीनी सेनाओं ने कई बार यहां भी घुसपैठ करने की कोशिशें की हैं।
चौथी फिंगर- नेपाल
चीन बेशक नेपाल के साथ कितने भी बेहतर रिश्ते होने का दावा करता हो, लेकिन इस देश पर भी उसकी बुरी निगाहें हैं। नेपाल के एक बड़े हिस्से पर भी चीन का कब्जा है। इसे लेकर हाल में ही नेपाल के लोगों ने सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन किया था। एक वक्त पर तो उसने भारत से सैन्य मदद की गुहार तक लगाई थी। भारत इस देश को हमेशा से ही मदद देता रहा है। लेकिन नेपाल की ही कम्युनिस्ट सरकार काफी समय तक चीन के इशारों पर नाचती रही।
पांचवीं फिंगर- लद्दाख
लद्दाख में चीन की हरकतें किसी से छिपी नहीं हैं। उसकी सेनाएं लगातार भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिशें कर रही हैं। काफी बड़े इलाके पर चीन का कब्जा पहले से है। जिसे अक्साई चीन के नाम से जाना जाता है। ये कभी भारत का क्षेत्र हुआ करता था। चीन की नजर आगे गलवान घाटी पर है। जहां जून, 2020 के बाद से तनाव बना हुआ है। दोनों देशों के बीच हुई करीब 16 राउंड की बैठकें भी बेकार साबित हुई हैं।