PAK सेना प्रमुख बाजवा को बर्खास्त कर कुर्सी बचाना चाहते थे इमरान, उलटा पड़ गया पासा
‘‘दो बिन बुलाए मेहमानों’’ को लेकर एक हेलीकॉप्टर रात को प्रधानमंत्री के आवास में उतरा और सेना के जवानों ने उन्हें एक इमारत में प्रवेश कराया। उन दोनों की इमरान खान के साथ 45 मिनट तक बैठक चली।
इस्लामाबाद: पाकिस्तानी मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद से बेदखल होने से पहले सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को बर्खास्त करने का प्रयास किया था, ताकि कोई ऐसा व्यक्ति आए जो ‘‘विदेशी षडयंत्र’’ के उनके (खान के) दावे और सत्ता में बने रहने के उनके इरादे के प्रति अधिक सहानुभूति रखता हो। ‘बीबीसी उर्दू’ ने कहा कि ‘‘दो बिन बुलाए मेहमानों’’ को लेकर एक हेलीकॉप्टर रात को प्रधानमंत्री के आवास में उतरा और सेना के जवानों ने उन्हें एक इमारत में प्रवेश कराया। उन दोनों की खान के साथ 45 मिनट तक बैठक चली।
खबर में कहा गया है कि बैठक के बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है लेकिन यह सौहार्दपूर्ण माहौल में नहीं हुई। खबर के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री ने मिलने आए उच्च अधिकारियों में से एक को हटाने का एक घंटे पहले आदेश जारी किया था। इसलिए, प्रधानमंत्री को इन बिन बुलाए मेहमानों के आने की उम्मीद नहीं थी। इमरान खान एक हेलीकॉप्टर के आने का इंतजार कर रहे थे लेकिन हेलीकॉप्टर में जो लोग आए उनका उन्हें अंदाजा नहीं था और न ही इसकी उम्मीद थी।’’
इसमें कहा गया है कि खान को उम्मीद थी कि हेलीकॉप्टर में उनके ‘‘नवनियुक्त अधिकारी’’ आएंगे, जिनके आने से सारी राजनीतिक उथल-पुथल पर विराम लग जाएगा। खबर में कहा गया है कि ‘‘बदलाव’’ की कोशिश नाकाम हो गई क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने नई नियुक्ति के लिए आवश्यक अधिसूचना जारी नहीं की। बीबीसी ने ‘‘बिन बुलाए मेहमानों’’ की पहचान नहीं बताई लेकिन खबर में शब्दों के चयन और इस्तेमाल किए गए लहजे से पता चलता है कि वे सेना प्रमुख जनरल बाजवा और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम रहे होंगे।
खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेना की मीडिया ईकाई ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) ने रविवार को बीबीसी उर्दू के आलेख को खारिज कर दिया और इसे ‘‘विशिष्ट दुष्प्रचार’’ वाली कहानी बताया। उसने एक बयान में कहा कि यह आलेख ‘‘पूरी तरह निराधार और झूठ का पुलिंदा’’ है। डॉन अखबार की खबर के अनुसार, उसने कहा कि ‘‘विशिष्ट दुष्प्रचार’’ वाली कहानी ‘‘किसी भी विश्वसनीय और प्रासंगिक स्रोत’’ के बिना लिखी गई है और दावा किया कि यह ‘‘पत्रकारिता के बुनियादी मूल्यों का उल्लंघन’’ करती है। बयान में कहा गया है, ‘‘फर्जी कहानी में कोई सच्चाई नहीं है और यह स्पष्ट रूप से एक संगठित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा दिखायी देती है। इस मामले को बीबीसी प्राधिकारियों के समक्ष उठाया जा रहा है।’’
खान का नाम शनिवार को पाकिस्तान के इतिहास के पन्नों में ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री के तौर पर दर्ज हो गया, जिन्हें नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से बाहर कर दिया गया। ऐसी भी खबर है कि वकील अदनान इकबाल ने जनरल बाजवा को सेना प्रमुख पद से संभावित रूप से हटाए जाने को चुनौती देने के लिए याचिका तैयार कर ली थी। अगर रक्षा मंत्रालय अधिसूचना जारी करती तो इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में रात में सुनवाई की जाती।
वहीं, ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के अनुसार, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में शनिवार रात एक आपात याचिका दायर कर खान को जनरल बाजवा को सेना प्रमुख के पद से हटाने से रोकने का अनुरोध किया गया। बीबीसी की खबर में कहा गया है कि एक याचिका तैयार की गई लेकिन तकनीकी कारण से दायर नहीं की गई क्योंकि इसमें सेना प्रमुख को हटाने की आधिकारिक अधिसूचना की संख्या नहीं थी, जो अंतत: जारी नहीं की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने भी सुनवाई करने की तैयारी कर ली थी।
(इनपुट- एजेंसी)