Imran Khan on S Jaishankar: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जब से सत्ता खोई है, तभी से वह लगातार भारत की विदेश नीति का प्रशंसा कर रहे हैं। चाहे कोई रैली हो या फिर इंटरव्यू, वह खुलकर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की तरीफें करते हैं। अब एक बार फिर खान ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि बेशक वह (एस जयशंकर) भारतीय मंत्री हैं, लेकिन वह उनकी प्रशंसा करते हैं। खान ने सत्ताधारी शहबाज शरीफ सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने उनकी सरकार के खिलाफ अमेरिका के साथ साजिश रची है। वहीं भारत यूरोप में करीब 8 महीने से जारी युद्ध को लेकर तटस्थ नीति का पालन कर रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत ने युद्ध की निंदा की है और बातचीत पर जोर दिया है।
इमरान खान ने अब एक बार फिर भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा है, 'भारत बोल रहा है कि हम रूस से सस्ता तेल लेंगे। आपको क्यों लगता है कि उसने (अमेरिका) भारत के साथ रिश्ते तोड़ दिए हैं? वो सम्मान करते हैं। हालांकि वह (एस जयशंकर) हिंदुस्तान के विदेश मंत्री हैं, लेकिन मैं उनकी प्रशंसा करता हूं। जिस तरह से वह सबके सामने बोलते हैं। आप अपनी इज्जत करेंगे, तो दुनिया आपकी इज्जत करेगी। जब आप उनके सामने लेट जाते हैं, वो डू मोर (और करो) करवाते हैं आपसे।'
रैली में चलवाया था जयशंकर का वीडियो
ऐसा पहली बार नहीं है जब इमरान खान ने भारत की तारीफ की है। इससे कुछ दिन पहले भी एक रैली में उन्होंने जयशंकर का वीडियो प्ले करवाया था और कहा था, 'यह एक आजाद मुल्क है।' ये वीडियो जयशंकर के यूरोप दौरे का था, जिसमें वह रूस से तेल खरीदे जाने के चलते भारत पर लगाए जा रहे आरोपों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने यूरोप को फटकार लगाते हुए कहा, 'क्या रूस से गैस खरीदना युद्ध में पैसा निवेश करना नहीं है? केवल भारत का पैसा और भारत का तेल ही युद्ध में निवेश कर रहा है, यूरोप की गैस क्यों नहीं?'
इमरान खान की नाराजगी का कारण क्या है?
इमरान खान ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने गुस्सा होकर उन्हें सत्ता से हटाने के लिए उनके खिलाफ साजिश रची है। क्योंकि वह रूस से तेल खरीदना चाहते थे और यूक्रेन युद्ध के समय रूस गए थे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। उन्होंने संसद में अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले कुछ चिट्ठियों को सबूत के तौर पर दिखाते हुए उन्हें विदेशी साजिश बताया था। लेकिन वो चिट्ठियां कभी सार्वजनिक नहीं हुई हैं। उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी भी छोड़नी पड़ी। इसके चलते उनके और सेना के बीच में अनबन भी हुई थी।
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