इमरान की पार्टी के सांसदों ने नेशनल असेंबली से दिया इस्तीफा और आजादी की लड़ाई लड़ेंगे: फवाद चौधरी
इमरान खान के करीबी फवाद चौधरी ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सभी सांसद नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए मतदान से पहले नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे दिया।
इमरान खान के करीबी फवाद चौधरी ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सभी सांसद नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए मतदान से पहले नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे देंगे। पूर्व सूचना मंत्री चौधरी ने यह भी कहा कि पीटीआई ने तथाकथित चुनाव का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है, जिसके लिए पार्टी ने पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को नामित किया है।
उन्होंने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) संसदीय समिति ने नेशनल असेंबली से इस्तीफा देने का फैसला किया है। आज, असेंबली के सभी सदस्य अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं। हम आजादी के लिए लड़ेंगे।'
यह निर्णय तब आया है जब पाकिस्तान की संसद में नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के लिए बैठक होनी है। इस बीच, जियो टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इमरान खान ने भी नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में इस्तीफा देने का फैसला किया है। मामले से जुड़े सूत्रों ने खान के हवाले से कहा, ‘हम किसी भी हालत में इस असेंबली में नहीं बैठेंगे।’
उन्होंने कहा कि पीटीआई नेशनल असेंबली में उन लोगों के साथ नहीं बैठेगी जिन्होंने पाकिस्तान को लूटा है और जिन्हें विदेशी ताकतें लेकर आई हैं। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि पार्टी के अधिकतर सदस्यों ने इस्तीफे के खान के फैसले का विरोध किया और उन्हें सलाह दी कि उन्हें हर मोर्चे पर विपक्ष का डटकर सामना करना चाहिए। खान ने जवाब दिया, 'अगर मैं अकेला रह गया तो भी मैं इस्तीफा दे दूंगा।'
इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव-विपक्षी उम्मीदवार और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ तथा पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी नए प्रधानमंत्री की दौड़ में हैं। नेशनल असेंबली के 342 सदस्यीय सदन में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में जीतने के लिए कम से कम 172 सांसदों का समर्थन मिलना चाहिए। शहबाज का समर्थन कर रहे संयुक्त विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव में अपेक्षित संख्या दिखाई है।
सदन के नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया रविवार को खान को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुई। खान सदन का विश्वास खोने के बाद देश के इतिहास में पद गंवाने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए।
पाकिस्तान 1947 में अस्तित्व में आने बाद से कई बार शासन परिवर्तन और सैन्य तख्तापलट के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझता रहा है। किसी भी प्रधानमंत्री ने अब तक पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।