शहबाज के खिलाफ लड़ाई तेज करने के मूड में इमरान, नेशनल असेंबली में लौटने के दिए संकेत
अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद नेशनल असेंबली के 131 PTI सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था।
लाहौर: पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सुप्रीमो इमरान खान ने पिछले कुछ महीनों में शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ लगातार हमला बोला है। आर्थिक मोर्चे पर पहले ही जूझ रहे पाकिस्तान में सियासी सिर फुटौव्वल ने कोढ़ में खाज का काम किया है। इस बीच इमरान ने सोमवार को पहली बार इस साल के अंत में होने वाले आम चुनावों के लिए एक केयरटेकर सरकार की परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए नेशनल असेंबली में लौटने का संकेत दिया।
131 PTI सदस्यों ने दिया था इस्तीफा
इमरान खान को डर सता रहा है कि अगर वह नेशनल असेंबली में वापस नहीं लौटते हैं तो शहबाज शरीफ और उनके सहयोगी चुनावों से पहले अपने मन के मुताबिक कार्यवाहक सरकार बना लेंगे। बता दें कि पिछले साल अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद नेशनल असेंबली के 131 PTI सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने अभी तक उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया है और सभी PTI सांसदों को यह साफ करने के लिए बुलाया है कि क्या उनका इस्तीफा ‘वास्तविक और स्वैच्छिक’ है।
हम ऐसा नहीं होने देंगे: इमरान खान
सोमवार को इमरान ने कहा, ‘अगर हम नेशनल असेंबली में वापस नहीं आते हैं, तो PML-N के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार अपने द्वारा चुने हुए विपक्षी नेता राजा रियाज के परामर्श से कार्यवाहक सरकार (इस साल अगस्त में अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद) बनाएगी। हम ऐसा नहीं होने देंगे।’ यह पहली बार है, जब इमरान ने पीएम पद से हटने के बाद से नेशनल असेंबली में लौटने को लेकर अपना रुख जाहिर किया है। इमरान ने यह भी कहा है कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी जल्द ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से नेशनल असेंबली में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहेंगे।
आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहा है पाकिस्तान
इमरान खान के ताजा रुख को देखकर लग रहा है कि पाकिस्तान में आने वाले दिन जबरदस्त सियासी उथल-पुथल के रहने वाले हैं। बता दें कि पाकिस्तान पिछले कुछ महीनों से आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहा है और एक आम पाकिस्तानी के लिए बुनियादी सुविधाएं जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा है। कई इलाकों में तो आटे की इतनी कमी है कि लोगों को दो जून की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो पा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच होने वाले सियासी टकराव मुल्क की मुश्किलों में इजाफा ही करेंगे।