Imran Khan China Visit: पाकिस्तान के पीएम इमरान खान चीन में होने वाले शीतकालीन ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया गया है। शीतकालीन ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन के बहाने उन्हें चीन जाकर अपनी तंगहाली बताने और कर्ज मांगने का मौका मिल रहा है। जानिए तंगहाल पाकिस्तान के चीन यात्रा के और क्या मायने हैं? दरअसल, इमरान खान की सरकार आर्थिक मोर्चे पर कई तरह के संकटों का सामना कर रही है। इकोनॉमी की हालत खस्ता है। कहीं से बाहरी निवेश नहीं आ रहा है। आतंकी देश की की ग्रे लिस्ट में नाम में नाम होने से पहले ही वह परेशान है। उनके देश की योजनाओं की प्रगति के लिए बड़ी राशि चाहिए, जिसे जुटाने में उन्हें पसीना आ रहा है। दुनिया से अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान के लिए अब चीन ही एक आसरा है, जिसके आगे वह जब—तब झोली फैलाने में भी नहीं शर्माता है।
कर्ज के लिए एकमात्र चीन ही आसरा
इमरान सरकार कई बार यह कह चुकी है कि उनके पास देश चलाने को पैसा नहीं बचा है। पाकिस्तान के लिए अब सिर्फ चीन ही कर्ज देने का एक बड़ा सहारा है। इससे पहले वह सभी बैंकिंग संस्थाओं जैसे एशियन बैंक, विश्व बैंक व यूएन के आगे झोली फैला चुका है। ये संस्थाएं भी पाक से कन्नी काटती हैं। वहीं सऊदी अरब ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज देने का वादा किया था लेकिन आसानी से रकम नहीं देता है। साथ ही जब—तब पुराने कर्ज भी वापस करने को कहता है। ऐसे में उसके लिए अब सिर्फ चीन ही बचता है, जिसके बारे में उसे लगता है ककि दरवाजे खुले हुए हैं।
अमेरिका का भरोसा खो चुका है चीन
कभी अमेरिका की आंखों का तारा रहा पाकिस्तान अब यूएस और अन्य यूरोपीय देशों का भरोसा खो चुका है। शीतयुद्ध के समय अमेरिका का प्रिय देश रहा पाक नब्बे के दशक में दूर होने लगा। दोनों देशों के संबंध हल्के होने लगे। लेकिन अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उसका अहम सहयोगी बन गया। लेकिन ऐसा लंबे समय तक संभव नहीं हो सका। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की विदाई के साथ ही अब अमेरिका को पाक की जरूरत नहीं रह गई है। ऐसे में अब चीन के अलावा उसका हमदर्द कोई नहीं बचा है। वही दाद भी देता है और इमदाद भी देता है।
अर्थव्यवस्था चलाने के लिए पाक को चाहिए निवेश
पाकिस्तान चाहता है कि चीन उसके यहां कपड़ा उद्योग, जूता-चप्पल उद्योग, दवा उद्योग, फर्नीचर, कृषि, वाहन निर्माण और सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश करे। पाकिस्तान के एक दैनिक अखबार ने लिखा है कि उम्मीद है कि सरकार चीन की 75 कंपनियों से कहेगी कि वह उन्हें मध्य पूर्व, अफ्रीका और पूरी दुनिया के बाजार तक पहुंच बनाने का मौका देगी और सामान की ढुलाई पर छूट दी जाएगी। पाकिस्तान आर्थिक मदद और सहयोग के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर है।
पाक में हो रहा चीन का विरोध
चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (सीपैक) के रूप में पहले ही पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है। पाकिस्तान ने सीपैक के तहत ऊर्जा और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई परियोजनाओं को पूरा कर लिया है, लेकिन अब बलूचिस्तान के लोग ही ग्वादर एअरपोर्ट पर चीन के निवेश का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि बलूच लोगों को यह मालूम है कि उन्हें कोई फायदा या रोजगार नहीं मिलने वाला है। इसमें चीन का अपना स्वार्थ है। पाक सरकार इन सब मामलों पर आंखें मूंदे रहती है। अर्थशास्त्रियों की मानें तो पाकिस्तान अब वित्तीय और आर्थिक मदद के लिए चीन पर 100 फीसदी निर्भर है। यह चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता ही है कि इमरान खान कर्ज लेने के लिए चीन का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की शर्तें सार्वजनिक हो गई हैं जबकि चीन कर्ज और अन्य परियोजनाओं से जुड़ा ब्यौरा गोपनीय रखता है, जिससे संदेह पैदा होता है।
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