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Hindi News विदेश एशिया इमरान खान ने फिर की भारतीय विदेश नीति की तारीफ, अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से खरीदा सस्ता तेल

इमरान खान ने फिर की भारतीय विदेश नीति की तारीफ, अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से खरीदा सस्ता तेल

इमरान खान ने कहा कि पिछले साल जब मैंने मास्को में रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भारत की तरह सस्ता तेल खऱीदने की डील फाइनल की थी तब आर्मी चीफ बाजवा ने यूक्रेन पर हमले की निंदा कर दी और पूरा मामला बिगड़ गया। वहीं इमरान ने कहा कि वे अमेरिका के विरोधी भी नहीं है।

इमरान खान, पूर्व पीएम, पाकिस्तान- India TV Hindi Image Source : पीटीआई इमरान खान, पूर्व पीएम, पाकिस्तान

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि यूक्रेन से जंग के चलते अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के दबाव के बाद भी भारत नहीं झुका और रूस से सस्ता तेल खरीदता रहा। उन्होंने आगे कहा- लेकिन पाकिस्तान ऐसा नहीं कर पया। इमरान ने इसकी वजह बताते हुए सारा ठीकरा तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल बाजवा पर फोड़ा। इमरान ने कहा कि तब हमारे आर्मी चीफ ने मामला बिगाड़ दिया था।

इमरान खान ने कहा कि पिछले साल जब मैंने मास्को में रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भारत की तरह सस्ता तेल खऱीदने की डील फाइनल की थी तब आर्मी चीफ बाजवा ने यूक्रेन पर हमले की निंदा कर दी और पूरा मामला बिगड़ गया। वहीं इमरान ने कहा कि वे अमेरिका के विरोधी भी नहीं है। 

हालांकि इससे पहले इमरान ने वॉयस ऑफ अमेरिका इंग्लिश को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिका को लेकर भी अपनी राय बदल ली थी। इमरान खान ने अमेरिका के विरोध पर यू-टर्न लेते हुए कहा था कि वो एंटी अमेरिका नहीं हैं। इमरान ने यह दावा किया था कि जनरल बाजवा ने अमेरिकियों से कहा था वे अमेरिका के विरोधी हैं। 

इमरान खान ने उनकी सरकार गिराने में कमर जावेद बाजवा की भूमिका की सेना द्वारा ‘आंतरिक जांच’ कराने की मांग की है। खान ने यह मांग बाजवा के कथित ‘कबूलनामे’ के बाद की है। इमरान खान ने  हरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) आतंकवादी संगठन के साथ बातचीत को हरी झंडी देने के लिए अपनी सरकार के कदम का जोरदार बचाव किया। खान ने कहा, सबसे पहले, तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तानी सरकार के सामने क्या विकल्प थे और उन्होंने टीटीपी का फैसला किया तथा हम 30,000 से 40,000 लोगों के बारे में बात कर रहे हैं। आप जानते हैं, उनमें परिवार भी शामिल थे, एक बार जब उन्होंने (टीटीपी) उन्हें वापस पाकिस्तान भेजने का फैसला किया? क्या हमें उन्हें लाइन में खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए थी या हमें उनके साथ मिलकर उन्हें फिर से बसाने की कोशिश करनी चाहिए थी?

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