1988 में जब इब्राहिम रईसी पर लगा हजारों कैदियों के क्रूर नरसंहार का आरोप, झेलना पड़ा अमेरिका समेत कई देशों का प्रतिबंध
वर्ष 1988 में क्रूर नरसंहार के लिए अमेरिका समेत कई देशों ने ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पर कड़े प्रतिबंध लगाए। बाद में हिजाब पहनने के खिलाफ हुए आंदोलन में महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के लिए संयुक्त राष्ट्र ने युवती को शारीरिक प्रताड़ना देने के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था।
नई दिल्लीः हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को 1988 में तेहरान के क्रूर हत्याकांड के लिए भी जाना जाता है। जब उन पर राजनैतिक विरोध में हजारों कैदियों को सामूहिक रूप से फांसी देने के मामले में शामिल रहने का आरोप लगा। कहा जाता है कि इब्राहिम रईसी के कहने पर तेहरान में यह क्रूर नरसंहार हुआ। इस दौरान हजारों लोगों को एक साथ फांसी पर लटका दिया गया। इस घटना ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी। इसके बाद इब्राहिम रईसी पर अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए।
राजनीतिक विरोध के खिलाफ क्रूर कार्रवाई के लिए जाने जाने वाले ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को कट्टरपंथी रूढ़िवादी मौलवी के रूप में भी जाना जाता है। 63 साल की आयु में हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए रईसी को ईरान का अगला सुप्रीम लीडर भी माना जा रहा था। इसके अलावा उन्हें यूरोप से लेकर मध्य पूर्व में सैन्य तनाव बढ़ाने और ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड को सख्ती से लागू करने के लिए भी जाना जाता है। उन्हें ईरान के मौजूदा सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खाम्मनेई के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था। मगर ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनका निधन हो गया।
2021 में ईरान के राष्ट्रपति बने थे रईसी
कट्टरपंथी नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके इब्राहिम रईसी वर्ष 2021 में पहली बार ईरान के राष्ट्रपति बने थे। इस दौरान उनके धुर विरोधियों और कई लोकप्रिय नेताओं को कई जांच प्रणालियों में उलझाकर चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। लिहाजा इस वर्ष ईरान में ऐतिहासिक रूप से सबसे कम मतदान हुआ। मगर इसमें इब्राहिम रईसी की जीत सुनिश्चित हो गई। तब से वह ईरान के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार हो गए थे। रईसी को इस चुनाव में करीब 62 फीसदी मत मिले थे। एक एक ऐसा चुनाव था, जिसमें लाखों लोग वोट डालने ही नहीं निकले और हजारों वोटरों के मतपत्रों को रद्द कर दिया गया। जीत के बाद उन्होंने काली पगड़ी पहननी शुरू की, जो पैगंबर मुहम्मद के वंशजों का प्रतीक है। इसके बाद वह कट्टरपंथी नेता के रूप में ईरान में स्थापित होने लगे।
हिजाब आंदोलन में झेली अंतरराष्ट्रीय आलोचना
वर्ष 2022 में ईरान में हिजाब पहनने के खिलाफ शुरू हुए महिलाओं के आंदोलन ने राष्ट्रपति रईसी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी थी। 22 वर्षीय प्रदर्शनकारी युवती महसा अमीनी की मौत के बाद देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। हजारों पुरुष भी महिलाओं के समर्थन में आ गए। दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन भी ईरान में महिलाओं के इस आंदोलन को सपोर्ट करने लगे। अमेरिका और यूरोप समेत तमाम पश्चिमी देशों ने ईरान सरकार की महिलाओं की आजादी को दमन करने को लेकर कड़ी निंदा की। बावजूद इब्राहिम रईसी नहीं झुके। उन्होंने सख्ती से महिलाओं के ड्रेस कोड को लागू करवाया। सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाने वाले कई आंदोलनकारियों को एक-के बाद एक करके फांसी भी दे दी गई। इससे बाकी आंदोलनकारी भी डर गए। आखिरकार हिजाब आंदोलन थम गया।
अमेरिका के साथ परमाणु समझौते से हटे पीछे
ईरान ने अमेरिका के एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था, लेकिन बाद में इब्राहिम रईसी इससे पीछे हट गए। इसके बाद उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में वृद्धि के लिए यूरेनियम के संवर्धन में वृद्धि करना शुरू कर दिया। इससे अमेरिका और इज़रायल के साथ सैन्य तनाव बढ़ने लगा। अमेरिका ने ईरान पर परमाणु समझौते पर कई बार आगे बढ़ने का दबाव बनाया, लेकिन रईसी ने इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने रूस जैसे देशों के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाई। शासक के रूप में उन्होंने पश्चिम पर लेबनान के हिजबुल्लाह, यमन में हूती विद्रोहियों और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का समर्थन किया।
रईसी को कहते थे तेहरान का कसाई
तेहरान में साल 1988 में कैदियों के भीषण नरसंहार और क्रूर हत्या के लिए रईसी को कभी-कभी विशेष रूप से "तेहरान का कसाई" कहा जाता था। आरोप था कि जिन 4 न्यायाधीशों ने यह फैसला दिया था, उसमें इब्राहिम रईसी भी शामिल थे। तब वह ईरान में बतौर न्यायाधीश काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ईरान-इराक युद्ध के बाद हजारों राजनीतिक कैदियों की सामूहिक फांसी की निगरानी की थी। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, ईरान ने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि इस दौरान कितने लोगों को फांसी दी गई, लेकिन अनुमानित संख्या 2,800 से 5,000 लोगों की बताई जाती है।
रईसी तब तेहरान के उप अभियोजक जनरल थे। लिहाजा अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 2019 में उन पर प्रतिबंधों की घोषणा कर दी। अमेरिका ने कहा रईसी तथाकथित रूप से उस 'मौत आयोग' में शामिल थे, जिसमें हजारों राजनीतिक कैदियों की न्यायेत्तर फांसी का आदेश दिया था। हालांकि 2021 में राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद संवाददाता सम्मेलन के दौरान रईसी से 1988 के सामूहिक नरसंहार में उनकी कथित संलिप्तता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने खुद को "मानवाधिकारों का रक्षक" बताया था।
2017 में हार गए थे चुनाव
रईसी वर्ष 2017 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़े थे, लेकिन तब वह हसन रूहानी से हार गए थे। रूहानी को दूसरे कार्यकाल के लिए बड़े अंतर से ईरान का राष्ट्रपति चुना गया था। मगर बाद में 2021 में रईसी ने फिर चुनाव लड़ा और ईरान के राष्ट्रपति बन गए। 2021 में, एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव एग्नेस कैलमार्ड ने न्यायपालिका के प्रमुख रहने के दौरान कथित "मानवता के खिलाफ अपराध" के लिए रईसी के खिलाफ जांच का आग्रह किया था। कैलामार्ड ने कहा, रईसी की निगरानी में ईरानी अधिकारियों ने सैकड़ों लोगों को दण्ड से मुक्ति के साथ क्रूरतापूर्वक मार डाला।
इसके बाद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और हजारों प्रदर्शनकारियों को बड़े पैमाने पर गिरफ्तार किया गया। इस दौरान सैकड़ों लोग गायब कर दिए गए। बाकियों के साथ घोर यातना और अन्य दुर्व्यवहार किया गया।" कैलमार्ड ने कहा था कि, "इब्राहिम रईसी का राष्ट्रपति पद पर पहुंचना एक ऐसी चुनावी प्रक्रिया का अनुसरण करता है जो अत्यधिक दमनकारी माहौल में आयोजित की गई थी। साथ ही महिलाओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों और विरोधी विचारों वाले उम्मीदवारों को इस पद की दौड़ में शामिल होने से रोक दिया गया था।