कभी ऑरेंज घड़ियाल देखा है? नेपाल के चितवन पार्क में दिखा यह अजूबा, उमड़ी भीड़, इसलिए बदल गया रंग
रिसर्चर ग्रिफिथ ने इन जीवों के रंग बदलने का एक कारण बताया है। क्योंकि अभी तक ये मगरमच्छ ज्यादातर भूरे, सफेद या काले रंगों में ही देखे गए हैं।
Kathmandu: नेपाल में के चितवन नेशनल पार्क में एक नारंगी रंग का घड़ियाल लोगों के कौतूहल का विषय बना हुआ है। इसे देखने के लिए नेपाल के इस नेशनल पार्क में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। लोग इस घड़ियाल का रंग देखकर आश्चर्यचकित हो रहे हैं। चितवन पाक्र नेपाल में हिमालय की तलहटी में स्थिति एक संरक्षित क्षेत्र है, यहां नारंगी कलर के मगरमच्छ देखे गए हैं। हैरत की बात यह है कि नेपाल में मिलने वाले मीठे पानी के मगरमच्छ और घड़ियाल नारंगी रंग के हो रहे हैं।
इन मगरमच्छों की पहली तस्वीर लीबनिज इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर इकोलॉजी एंड इनलैंड फिशरीज के एक रिसर्चर फोबे ग्रिफिथ ने 29 मई को शेयर किया था। उन्होंने नेपाल के नारंगी घड़ियाल और मगरमच्छों के रंग को लेकर कई प्रश्न खड़े किए। इन घड़ियालों और मगरमच्छों की फोटोज तेजी से वायरल हो रही हैं। ग्रिफिथ ने इन जीवों के रंग बदलने का कारण पानी में लोहे की मात्रा का अधिक होना बताया है। क्योंकि अभी तक ये मगरमच्छ ज्यादातर भूरे, सफेद या काले रंगों में ही देखे गए हैं।
क्यों बदल रहा घड़ियालों का रंग, सामने आई यह वजह
एक्सपर्ट फोबे ग्रिफिथ ने समझाया कि घड़ियाल या मगरमच्छ जो ऐसी पानी की धाराओं के पास ज्यादा वक्त बिताते हैं और फिर ऐसे पानी को ज्यादा मात्रा में पीते हैं, इस कारण इनका रंग नारंगी हो रहा है। ऐसी जानकारी है कि नेपाल के चितवन के कुछ इलाकों में पानी में लोहे की मात्रा ज्यादा है। लोहे का मिश्रण पानी में अधिक होने के कारण आयरन ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके आयरन ऑक्साइड नाम का नारंगी पदार्थ बनाता है। चूंकि ये मगरमच्छ अपना अधिकांश समय पानी में बिताते हैं। इसलिए घड़ियाल जमीन पर चलने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं और आम तौर पर केवल धूप या घोंसले में बैठने के लिए खुद को बालू में रगड़ते हैं। ऐसे में उनके शरीर में नदियों का लाल रंग आसानी से चढ़ जाता है। इस कारण वे नारंगी दिखाई देते हैं।
नेपाल में घड़ियालों की संख्या 98 फीसदी गिरी
नेपाल में घड़ियाल अच्छी मात्रा में पाए जाते थे। लेकिन जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन के अनुसार 1940 के दशक के बाद से इनकी संख्या में काफी कमी आई है। 1940 से अब तक इनकी संख्या में 98 फीसदी की कमी आ गई है। बचे हुए 200 घड़ियालों में से अधिकांश चितवन राष्ट्रीय उद्यान में रहते हैं, जहां उन्हें प्रदूषण, खनन और मछली की घटती आबादी से जुड़े अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है।
जानिए इनकी बनावट के बारे में
रिसर्च टीम ने जब इनके रंग बदलने के बारे में शोध किया तो पता चला कि मगरमच्छों के नारंगी होने का प्रमुख कारण चितवन नेशनल पार्क की कुछ नदियों और पानी की धाराओं में लोहे की अत्याधिक मात्रा है। इस कारण उनके पूरे शरीर पर नारंगी रंग चिपक रहा है, जबकि खाल काली ही है। घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) गंभीर रूप से लुप्तप्राय मीठे पानी के मगरमच्छ हैं। इनके पास एक लंबा और पतला थूथन होता है। नर घड़ियाल लगभग 16 फीट (5 मीटर) लंबा हो सकता है। जवानी में इनका वजन 250 किलोग्राम तक पहुंच सकता है।