तालिबानियों के चंगुल में फंस गईं छठवीं पास हजारों छात्राएं, आंतकियों ने रौंद दिए हसीन सपने
तालिबान ने हजारों अफगानी छात्राओं की जिंदगी को नर्क बना दिया है। छाठवीं पास करने के बाद ये छात्राएं अब तनाव में हैं। तालिबानी फरमान के मुताबिक अब ये छात्राएं आगे की पढ़ाई नहीं कर सकेंगी। इससे छात्राओं के हसीन सपने तालिबानियों के हाथों रौंदे जा रहे हैं।
Edited By : Dharmendra Kumar Mishra
Published : Dec 25, 2023 15:14 IST, Updated : Dec 25, 2023, 16:04:19 IST अफगानिस्तान में लड़कियों की जिंदगी को तालिबान ने नर्क बना दिया है। अब वह सिर्फ शारीरिक जरूरत पूरा करने का सामान भर रह गई हैं। तालिबानियों के जुर्म से अफगानी महिलाओं के हसीन सपने रौंदे जा रहे हैं। क्रूर तालिबानियों ने छाठवीं में पढ़ने वाली बच्चियों तक को नहीं बख्शा। लिहाजा कक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इन छात्राओं में गम का माहौल है। तालिबानियों ने उनके सुंदर सपनों पर दहशत का बुलडोजर चला दिया है। अब ये छात्राएं कभी स्कूल का मुंह नहीं देख सकेंगे। दरअसल तालिबानियों ने अफगानिस्तान में कक्षा 6 तक ही पढ़ाई के लिए लड़कियों को अनुमति दी है। इसके बाद अगली कक्षा में पढ़ाई पर रोक है।
अफगानिस्तान की बहारा रुस्तम (13) काबुल स्थित बीबी रजिया स्कूल में 11 दिसंबर को आखिरी बार स्कूल गई। उसे पता है कि उसे अब आगे पढ़ने का अवसर नहीं दिया जाएगा। तालिबान के शासन में वह फिर से कक्षा में कदम नहीं रख पाएगी। दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के बलों के सितंबर 2021 में अफगानिस्तान से लौटने के एक महीने पश्चात तालिबान ने घोषणा की कि लड़कियों के छठी कक्षा से आगे पढ़ने पर प्रतिबंध होगा। महिलाओं के लिए दमनकारी तालिबानी कदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई और तालिबान को चेतावनी दी गई है कि इस प्रकार के प्रतिबंधों के कारण उसके लिए देश के वैध शासक के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा। इसके बावजूद तालिबान महिलाओं पर लगातार प्रतिबंध लगा रहा है।
तालिबानी फरमान से यूएन भी चिंतित
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत रोजा ओटुनबायेवा ने पिछले हफ्ते चिंता व्यक्त की थी कि अफगान लड़कियों की एक पीढ़ी हर रोज पिछड़ती जा रही है। अफगान शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि सभी उम्र की अफगान लड़कियों को मदरसों में पढ़ने की इजाजत होगी। इन मदरसों में परंपरागत रूप से केवल लड़के ही पढ़ते हैं। ओटुनबायेवा ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन मदरसों में आधुनिक विषयों को पढ़ाया जाएगा या नहीं। बहारा ने कहा, ‘‘छठी कक्षा उत्तीर्ण करने का अर्थ होता है कि हम सातवीं कक्षा में पढ़ेंगे लेकिन हमारी सभी सहपाठी रोईं और हम बहुत निराश थे।’’ काबुल में रहने वाली 13 वर्षीय सेतायेश साहिबजादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और अपने सपनों को साकार करने के लिए स्कूल नहीं जा पाने के कारण उदास है।
साबिहजादा का टूटा टीचर बनने का सपना
साहिबजादा ने कहा, ‘‘मैं अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती। मैं अध्यापिका बनना चाहती थी लेकिन अब मैं पढ़ नहीं सकती, स्कूल नहीं जा सकती।’’ विश्लेषक मुहम्मद सलीम पैगीर ने चेतावनी दी कि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखना अफगानिस्तान के लिए विनाशकारी होगा। उन्होंने कहा, ‘‘अशिक्षित लोग कभी भी स्वतंत्र और समृद्ध नहीं हो सकते।’’ तालिबान ने महिलाओं को कई सार्वजनिक स्थानों और अधिकतर नौकरियों से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें उनके घरों तक ही सीमित कर दिया गया है। (एपी)