ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया एक और बड़े मुकदमे में बरी हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया। साथ ही उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें दी गई 10 वर्ष की जेल की सजा को पलट दिया। ‘ढाका ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ खालिदा (79) की अपील की समीक्षा के बाद प्रधान न्यायाधीश डॉ.सैयद रेफात अहमद की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया।
खबर में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने जिया, पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान और अन्य सभी संदिग्धों को जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में उनकी अपील पर बरी कर दिया। अपीलीय प्रभाग ने कहा कि यह मामला बदले की भावना से प्रेरित था। जिया को आठ फरवरी, 2018 को ढाका की विशेष न्यायाधीश अदालत-5 ने जिया अनाथालय ट्रस्ट के नाम पर सरकारी धन के कथित गबन के लिए पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी।
10 साल की हुई थी सजा
इसी फैसले में खालिदा जिया के बेटे तारिक और पूर्व मुख्य सचिव कमालुद्दीन सिद्दीकी सहित पांच अन्य आरोपियों को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। प्रत्येक आरोपी पर 2.1 करोड़ टका का जुर्माना भी लगाया गया। आरोपियों में से तारिक, सिद्दीकी और जियाउर्रहमान का रिश्तेदार मोमिनुर रहमान अब भी फरार हैं। जिया ने अधीनस्थ अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन 30 अक्टूबर 2018 को न्यायमूर्ति एम.इनायतुर रहीम और न्यायमूर्ति एमडी मुस्तफिजुर रहमान की पीठ ने सजा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया। इसके बाद जिया ने इस सजा के खिलाफ अपील दायर की।
शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद दायर की थी अपील
खालिदा जिया ने पूर्व पीएम शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में यह अपील दायर की थी। कानूनी प्रक्रियागत मुद्दों और अधिवक्ताओं की ओर से पहल की कमी के कारण वर्षों की देरी के बाद, अपीलीय प्रभाग ने 11 नवंबर 2024 को जिया की अपील स्वीकार कर ली। अदालत ने अपील की अंतिम सुनवाई तक उच्च न्यायालय की 10 वर्ष की सजा पर भी रोक लगा दी। सुनवाई समाप्त होने के बाद अपीलीय प्रभाग ने जिया को बरी करने के अपने फैसले की घोषणा की तथा आधिकारिक तौर पर उन्हें मामले में आरोपों से मुक्त कर दिया। जिया बीमार हैं और इस महीने की शुरुआत में इलाज के लिए लंदन गई थीं। जिया, मार्च 1991 से मार्च 1996 तक और फिर जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। (भाषा)
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