SCO में आमने-सामने हुए भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री, नहीं मिलाया हाथ; सीमा पार आतंक पर पाक को खरी-खरी
करीब 12 वर्ष बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत की धरती पर आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में चल रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससी) सम्मेलन में बृहस्पतिवार को ही हिस्सा लेने पहुंच गए थे। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनका आमना-सामना भी हुआ।
करीब 12 वर्ष बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत की धरती पर आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में चल रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससी) सम्मेलन में बृहस्पतिवार को ही हिस्सा लेने पहुंच गए थे। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनका आमना-सामना भी हुआ। दोनों देशों के विदेश मंत्री ने इस दौरान एक दूसरे से हाथ तक नहीं मिलाया। इससे समझा जा सकता है कि भारत ने अभी भी पाकिस्तान की हरकतों को माफ नहीं किया है। ऐसा करके एक बार फिर भारत ने पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया को संदेश दे दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद और दहशतगर्दी पर लगाम नहीं लगाता, तब तक उससे संबंध सुधरना और बातचीत होना संभव नहीं है।
बिलावल भुट्टो जरदारी जब एस जयशंकर के सामने पड़े तो दोनों ने हाथत जोड़कर एक दूसरे का अभिवादन किया। यानि भारत ने आतिथ्य सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन अपने अंदाज से पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे दिया। मतलब साफ है कि भारत ने एससीओ सम्मेलन में पाकिस्तान को फिलहाल "नमस्ते" कर दिया है। अभी तक पाकिस्तान के साथ भारत की द्विपक्षीय वार्ता का भी कोई संकेत नहीं मिला है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की ओर से भी इसके लिए अभी तक कोई प्रयास नहीं किया गया है। इससे पहले बिलावल भुट्टो ने भारत आने से पहले ट्वीट कर कहा था कि वह भारत के गोवा में एससीओ सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि पाकिस्तान एससीओ सम्मेलन को कितना अहमियत देता है और अपनी भागीदारी को लेकर भी कितना गंभीर है। उन्होंने गोवा पहुंचने के बाद भी ट्वीट किया था कि वह भारत पहुंच गए हैं, जहां वह विदेश मंत्रियों के डिनर में शामिल होंगे और चीन, उज्बेकिस्तान समेत अन्य समकक्षों से वार्ता करेंगे।
सीमा पार से आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
एस जयशंकर ने पाकिस्तान को एससीओ सम्मेलन में खरी-खरी सुना दी है। विदेश मंत्री ने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकती। इस दौरान एससीओ देशों के सामने भारत ने पाकिस्तान को होने वाली टेरर फंडिंग पर भी गंभीर सवाल उठाए। बिलावल भुट्टो जरदारी के सामने ही पाकिस्तान को विदेश मंत्री ने जमकर धोया। भारत ने ये भी कहा कि आतंकवाद से सभी को मिलकर लड़ना होगा। एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता है और इसे सीमा पार आतंकवाद सहित इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में रोका जाना चाहिए। आतंकवाद का मुकाबला एससीओ के मूल जनादेशों में से एक है।
अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी भाषा बनाने के लिए भारत ने मांगा समर्थन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा किक मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि एससीओ के सुधार और आधुनिकीकरण के मुद्दों पर चर्चा पहले ही शुरू हो चुकी है... मैं अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में बनाने की भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग के लिए सदस्य देशों का समर्थन भी चाहता हूं। ताकि अंग्रेजी बोलने वाले सदस्य राज्यों के साथ गहरा जुड़ाव हो सके। एससीओ अध्यक्ष के रूप में हमने एससीओ पर्यवेक्षकों और संवाद भागीदारों के साथ 14 से अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उन्हें आमंत्रित करके एक अभूतपूर्व जुड़ाव शुरू किया है।
एससीओ शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान समेत अन्य मुद्दों पर एस जयशंकर की महत्वपूर्ण बातें
- भू-राजनीतिक उतार-चढ़ाव के कारण दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है। इन घटनाक्रम से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं अवरुद्ध हुई हैं।
- जब दुनिया कोविड-19 महामारी और इसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही।
- हम इस बात को मजबूती से मानते हैं कि आतंकवाद को कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता।
- सीमापार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए।
- आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण के सभी तरीकों को रोका जाना चाहिए।
- अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर हमारी नजर है। अफगान जनता के कल्याण की दिशा में प्रयास हों।
- अफगानिस्तान में अभी हमारी प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, समावेशी सरकार सुनिश्चित करना और आतंकवाद से लड़ना शामिल हैं।
- एससीओ की हमारी अध्यक्षता के तहत, हमने 100 से अधिक बैठक और कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किये जिनमें 15 मंत्री स्तरीय बैठकें शामिल हैं।
- भारत एससीओ में बहुपक्षीय सहयोग के विकास को और शांति एवं स्थिरता के संवर्धन को बहुत महत्व देता है।
- मैं एससीओ की भारत की पहली अध्यक्षता के तहत आपकी मेजबानी करते हुए हर्षित महसूस कर रहा हूं।