चीन-पाकिस्तान से लेकर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और बीबीसी पर बरसे विदेश मंत्री एस जयशंकर, जानें कैसे सबको धोया?
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर खरी-खरी बात कहने के लिए मशहूर हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए एक साक्षात्कार में उन्हों पड़ोसी पाकिस्तान व चीन से लेकर देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और ब्रिटिश ब्रॉड कास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) को जमकर धोया।
नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर खरी-खरी बात कहने के लिए मशहूर हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए एक साक्षात्कार में उन्हों पड़ोसी पाकिस्तान व चीन से लेकर देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और ब्रिटिश ब्रॉड कास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) को जमकर धोया। उन्होंने चीन मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते कहा कि क्या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सेना को क्या राहुल गांधी ने भेजा था?... नहीं, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे।
उन्होंने कहा कि मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है। मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस(चीन) विषय पर काफी कुछ पता है। अगर उनको(राहुल गांधी) चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं। एस जयशंकर ने कहा कि कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक है, कभी कहा जाता है कि सरकार उदार हो रही है। अगर हम उदार हैं तो LAC पर आर्मी को किसने भेजा? राहुल गांधी ने आर्मी को नहीं भेजा, पीएम नरेंद्र मोदी ने भेजा था। चीन को भारत की सेना सीमा पर जवाब देने में सक्षम है।
पाकिस्तान की कार्रवाई से तय होता है उसका भविष्य
चीन के बाद पाकिस्तान पर भी विदेश मंत्री एस जयशंकर हमलावर दिखे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का भविष्य काफी हद तक उसकी कार्रवाई से तय होता है। मेरा मतलब है कि कोई भी अचानक ऐसी एक कठिन स्थिति में नहीं पहुंचता है। अब उन्हें इसके लिए रास्ता खुद खोजना है। आज हमारा संबंध वैसा नहीं है जहां हम सीधे उसपर प्रासंगिक हो सकते हैं। राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा था। 2011 में मैंने उनसे बीजिंग में मुलाकात की थी, उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिला था। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वे उस समय वहां (चीन) दौरे पर गए थे। सच कहूं तो उन्होंने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला था।
इंदिरा गांधी पर बोला हमला
विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने एक वाक्या बताते हुए कहा कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और वो 1979 में जनता सरकार में सचिव बने थे, लेकिन उन्हें सचिव पद से हटा दिया गया था। 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं थीं तब उन्होंने उनको पद से हटा दिया था। वे काफी ज्ञानी थे, शायद यही दिक्कत थी। इसलिए उन्हें पूर्व पीएम राजीव गांधी के कार्यकाल में भी हटा दिया गया था। जबकि ये कैबिनेट (मोदी सरकार) एक टीम कैबिनेट है। इसमें हम अपने निर्णय नहीं ले सकते, बल्कि पूरी टीम लेती है। जब मुझे मंत्री के रूप में चुना गया था तब मैं सांसद नहीं था और न ही कोई राजनीतिक पार्टी का सदस्य था। मेरे पास विकल्प था कि मैं राजनीतिक पार्टी चुनूं या नहीं। मैंने इस पार्टी को इसलिए चुना, क्योंकि ये पार्टी देश की भावनाओं को अच्छे से समझती है। आप जब कैबिनेट का हिस्सा होते हैं तो आपको बहुत कुछ जानने को मिलता है।
बीबीसी ने 1984 में हुए सिख दंगों पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनाई
विदेश मंत्री ने बीबीसी के गुजरात दंगों और पीएम मोदी पर बनाई डॉक्यूमेंट्री के सवाल पर कहा कि कई बार भारत में चल रही राजनीति यहां की नहीं, बल्कि बाहर से आई होती है। विचार और एजेंडा बाहर से आए होते हैं। आप डॉक्यूमेंट्री ही बनाना चाहते हैं तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ था। हमें उस विषय पर कोई डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली? ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है, जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक एनजी, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपको क्या लगता है कि ये बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री अचानक आई है। मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं, लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में जरूर शुरू हो गया है।
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