पाकिस्तान की कंगाल हालत दुनिया से छिपी नहीं है। आटे दाल को लेकर मारामारी चल रही है। बिजली संकट के कारण अंधकार में जीना पड़ रहा है। पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। महंगाई ने पाकिस्तानियों की कमर तोड़ दी है। कर्ज के लिए आईएमएफ से लेकर दुनिया के कई देशों के सामने कटोरा लेकर गिड़गिड़ा रहा है। अपने देश की खस्ता हालत होने के बावजूद पाकिस्तान से कश्मीर का राग नहीं छूट रहा है। इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पीओके पर बड़ा बयान दे डाला है।
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने दोहराया कि जब तक कश्मीरी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत आत्म निर्णय के अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक उनका देश उन्हें कूटनीतिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन देना जारी रखेगा। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की विधानसभा के विशेष सत्र को मुजफ्फराबाद में संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत हमेशा जम्मू-कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि नस्लीय आधार पर पूर्वी तिमोर, दारफुर और दुनिया के अन्य इलाकों को आजादी दी गई, लेकिन वही आधार जम्मू-कश्मीर और फिलिस्तीन पर लागू नहीं किया गया। शरीफ ‘कश्मीर एकता दिवस’ के मौके पर बोल रहे थे, जो पाकिस्तान कश्मीरियों के प्रति समर्थन व्यक्त करने के लिए मनाता है।
प्रधानमंत्री शरीफ ने अलग से जारी एक विशेष संदेश में कहा कि पाकिस्तान की जनता ‘उनकी (कश्मीरियों) आत्मनिर्णय के अपरिहार्य अधिकार के लिए जारी न्यायोचित संघर्ष के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और अपने समर्थन को दोहराती है।’ पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विवाद पाकिस्तान की विदेश नीति का ‘अहम स्तंभ बना रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम कश्मीरी लोगों का बिना शर्त नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन जारी रखेंगे।’ पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने भी कश्मीरियों की ‘संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत आत्मनिर्णय के अधिकार’ के लिए जारी संघर्ष के प्रति समर्थन व्यक्त किया। इस्लामाबाद, मुजफ्फराबाद, गिलगित और चारों सूबों की राजधानियों में एकजुटता मार्च निकाला गया।
हकीकत: गिलगित से लेकर बलूचिस्तान तक भारत में विलय के उठ रहे सुर
सवाल यही उठता है कि एकजुटता मार्च निकालने से पाकिस्तान के हालात ठीक नहीं हो जाएंगे। पाकिस्तान भले ही कश्मीर के एजेंडे पर बोलता रहे, लेकिन पाकिस्तान जो मंसूबे पाल रहा है, उसमें कभी कामयाब नहीं हो सकता है। क्योंकि जमीन पर हालात अलग हैं।
गिलगित बाल्तिस्तान के लोग कई मौकों पर कश्मीर में विलय की बात करते हैं। पाकिस्तान के हुक्मरानों के खिलाफ गिलगित बाल्तिस्तान से लेकर बलूचिस्तान तक लोगों में आक्रोश है। हाल ही में आई विनाशकारी बाढ़ और कंगाली की हालत ने इन प्रांतों के लोगों में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ आक्रोश और बढ़ा दिया है।
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