इस्लामाबाद: पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वह देश में आम चुनाव कराने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करेगा। नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद खान ने रविवार को मध्यावधि चुनाव की सिफारिश करके विपक्षी दलों को चौंका दिया। इसके बाद खान ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को अगस्त 2023 में अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए कहा।
‘आम चुनावों की स्थिति में तैयारी की समीक्षा की जाएगी’
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ECP) के प्रवक्ता ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग संविधान और कानून के तहत अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। बैठक में आम चुनावों की स्थिति में तैयारी की समीक्षा की जाएगी।’ वहीं, सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री खान के खिलाफ अविश्वास मत की अस्वीकृति के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहा है। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने ईसीपी प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है कि आम चुनाव अगले 3 महीने में नहीं हो सकते।’
‘आयोग ने चुनाव के संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया’
इससे पहले एक ट्वीट में आयोग ने कहा था कि ‘यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने चुनाव के संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है।’ ईसीपी का स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि आयोग कुछ प्रक्रियात्मक और कानूनी चुनौतियों के कारण 3 महीने में आम चुनाव नहीं करा पाएगा।
मीडिया की खबरों को चुनाव आयोग ने बताया था झूठा
‘डॉन’ अखबार ने ईसीपी के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के नए परिसीमन विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा में जहां 26वें संशोधन के तहत सीटों की संख्या में वृद्धि की गई थी और जिले और निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार मतदाता सूची को अनुरूप लाना था, के कारण आम चुनाव की तैयारियों में करीब 6 महीने लगेंगे। अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘परिसीमन एक समय लेने वाली कवायद है, जहां कानूनन सिर्फ आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है।’
चुनाव आयोग के सामने हैं कई चुनौतियां
अधिकारी ने कहा कि चुनाव सामग्री की खरीद, मतपत्रों की व्यवस्था और मतदान कर्मियों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण अन्य अंतर्निहित चुनौतियों में शामिल हैं। इस बीच, हाल के राजनीतिक घटनाक्रम और आगामी संवैधानिक संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, एक स्वतंत्र गैर-सरकारी निकाय, फ्री एंड फेयर इलेक्शन नेटवर्क (फाफेन) ने प्रारंभिक चुनाव के संचालन के लिए कई संवैधानिक, कानूनी और परिचालन चुनौतियों की पहचान की है। संगठन के अनुसार, कई संवैधानिक और कानूनी जटिलताओं को देखते हुए प्रारंभिक चुनाव एक सहज प्रक्रिया नहीं हो सकती है।
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