इजरायल गाजा में लगातार हमले कर रहा है। हमास के आतंकियों को चुन-चुनकर मार रहा है। इस बीच कई बार ईरान ने इजरायल पर हमले किए। युद्ध के बाद ईरान अब एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के काफिले के हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। इस खबर ने विश्वभर में हड़कंप मचा दिया है। विश्व के कुछ नेता इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं तो कुछ लोग इसे दुर्घटना का नाम दे रहे हैं। बता दें कि कट्टरपंथी मौलवी इब्राहिम रईसी को साल 2021 में ईरान का राष्ट्रपति चुना गया था। रईसी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के बेहद करीबी और उनके वारिस माने जाते हैं।
कौन थे इब्राहिमी रईसी?
बता दें कि रईसी 63 वर्ष के हैं, जो ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में साल 2019-21 तक काम कर चुके हैं। साल 1988 में खूनी ईरान-इराक युद्ध के अंत में हजारों राजनीतिक कैदियों को सामूहिक तौर पर फांसी दी गई थी। इसमें शामिल होने के कारण रईसी पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। इब्राहिम रईसी का जन्म साल 1960 में मशहद में हुआ था, जो ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शबर और शिया मुसलमानों का पवित्र तीर्थस्थल है। बता दें कि रईसी की पिता रईसी के जन्म के 5 साल बाद ही चल बसे।
पैगंबर मोहम्मद के वंशज माने जाते हैं रईसी
इब्राहिम रईसी को पैगंबर मोहम्मद के वंशज के रूप में भी जाना जाता है। जब रईसी 15 साल के थे तो उन्होंने मदरसे में भाग लेना शुरू कर दिया। इसके बाद छात्र जीवन में उन्होंने पश्चिमी समर्थित शाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया था। हालांकि साल 1979 आते-आते इस आंदोलन का नेतृत्व अयातुल्ला खामेनेई ने करना शुरू किया, जिसे बाद में इस्लामिक क्रांति का नाम दिया गया। इस क्रांति के बाद रईसी न्यायपालिका में शामिल हो गए। बता दें कि खामेनेई द्वारा प्रशिक्षित होने के कारण वे कई शहरों में बतौर अभियोजक कार्य करते रहे। तेहरान में रईसी जब अभियोजक बने तो उनकी आयु उसक वक्त मात्र 25 साल थी। साल 2019 में रईसी को न्यायपालिका प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया।
हजारों लोगों को रईसी ने दी फांसी
रईसी ने इस दौरान 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से सबसे खूनी राजनीतिक अशांति को दबाने के लिए अदालतों का इस्तेमाल किया। रईसी पर ऐसे कई आरोप लगे कि उनके नेतृत्व में हजारों लोगों की कोर्ट की तरफ से मौत की सजा दी गई थी। एमनेस्टी इंटरनेशल रिपोर्ट के मुताबिक मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या लगभग 5 हजार थी। वहीं मानवाधिकार संगठनों की मानें तो लगभग 30 हजार लोगों को मौत की सजा दी गई थी। बता दें कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण ही रईसी के खिलाफ अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। बता दें कि 1980 के दशक की फांसी और साल 2009 के अशांति के दमन में भी उनकी भूमिका थी।
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