बगदाद: सीरिया के विपक्षी कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कहा कि देर रात इराक के साथ सीमा पर पूर्वी सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया को हवाई हमले में निशाना बनाया गया। उन्हंने घटना के बादे में जानकारी देते हुए कहा कि इस हमले में कई लोग मारे गए हैं। इराक में 2 पैरामिलिट्री अफसरों के मुताबिक, हमले में मारे गए लोगों में से कुछ ईरानी नागरिक भी थे। इन हमलों की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है ऐसे में यह साफ नहीं हो पाया है कि हमलों के पीछे कौन था।
अमेरिका करता रहा है ऐसे हमले
अतीत में इस तरह के हमलों को अंजाम देने वाली अमेरिकी सेना ने कहा कि इस हमले के पीछे उसका हाथ नहीं है। अमेरिका की सेना ने कहा कि अल-कैम हमले में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी। वहीं, इजरायल की सेना ने घटना पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। विपक्षी युद्ध निगरानीकर्ता, ब्रिटेन स्थित ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के मुताबिक, मंगलवार की आधी रात से कुछ समय पहले हुए ड्रोन हमले में सीरिया के पूर्वी प्रांत डीर अल-जौर में मिलिशिया के लिए ईंधन और अन्य ट्रक ले जा रहे टैंकर ट्रकों को निशाना बनाया गया।
ट्रकों के काफिलों को निशाना बनाया गया
निगरानीकर्ता के मुताबिक, हमले में कम से कम 14 लोग मारे गए जिनमें से ज्यादातर मिलिशिया से जुड़े लोग थे। एक अन्य समाचार स्रोत ने बताया कि सीरिया के सीमावर्ती शहर बौकमल और आसपास के इलाकों में ईरान समर्थित मिलिशिया को निशाना बनाते हुए 3 हवाई हमले किए गए। वहीं, इलाके में सक्रिय इराकी पैरामिलिट्री गुप्स के सदस्यों ने कहा कि सीरिया में इराकी सीमा के पार ईंधन ले जा रहे एक काफिले पर हवाई हमले में मंगलवार देर रात कम से कम 10 लोग मारे गए। उन्होने बताया कि हमले ने लगभग 15 ट्रकों का काफिला निशाना बना जो अल-कैम शहर के पास सीरिया में दाखिल हुए था।
‘मारे गए लोगों में ईरानी नागरिक भी थे’
यह साफ नहीं है कि काफिला कहां से आ रहा था लेकिन इराकी पैरामिलिट्री के 2 अफसरों ने कहा कि हमले में मारे गए लोगों में से कुछ ईरानी नागरिक थे। अधिकारियों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इस बारे में जानकारी दी। ईरानी सरकारी टेलीविजन की अंग्रेजी भाषा की सेवा, ‘प्रेस टीवी’ ने बुधवार तड़के अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए दावा किया कि अल-कैम सीमा पार इराक से सीरिया में एक फ्यूल ट्रक के काफिले पर हमला हुआ था। ‘प्रेस टीवी’ ने दावा किया कि काफिला सीरिया के रास्ते ईरानी तेल को लेबनान ले जा रहा था, लेकिन उसमें ईरानी नागरिकों की मौत का कोई जिक्र नहीं था।
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