बीजिंग: चीन में एक बार फिर कोरोना कहर बनकर टूट रहा है। लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वहीं कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए कड़े प्रतिबंधों के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन राजधानी बीजिंग तक फैल गए हैं जबकि चीन ने सोमवार को इससे जुड़ी चिंताओं को खारिज कर दिया। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि सोमवार को संक्रमण के 39,452 नए मामले आए, जिनमें 36,304 स्थानीय मामलों में मरीजों में बीमारी के लक्षण नहीं देखे गए। इस बीच, सप्ताहांत के दौरान पूर्वी महानगर शंघाई में शुरू हुए प्रदर्शन बीजिंग तक फैल गया जहां मध्य शहर में लियांगमाहे नदी के करीब रविवार शाम को सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए।
सरकार के खिलाफ लगे नारे
शंघाई के उरुमकी में बृहस्पतिवार को लॉकडाउन के दौरान एक अपार्टमेंट में आग लग जाने की घटना में मारे गए लोगों की याद में मोमबत्तियां लिए हुए लोगों ने सरकार द्वारा मनमाने लॉकडाउन के खिलाफ और शंघाई में प्रदर्शनों के प्रति एकजुटता जताते हुए नारे लगाए। कई राजनयिकों और विदेशियों ने प्रदर्शन देखा क्योंकि ये प्रदर्शन बीजिंग में राजनयिक आवासीय परिसर के समीप हुए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शन कई घंटे तक हुए और पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भी शंघाई में प्रदर्शनों को कवर करने वाले बीबीसी के एक पत्रकार की गिरफ्तारी के कदम का बचाव करते हुए कहा कि संवाददाता ने मीडिया से होने की अपनी पहचान जाहिर नहीं की थी।
'चीन शून्य-कोविड नीति का पालन कर रहा है'
लॉकडाउन के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शनों से जुड़े सवाल के जवाब में झाओ ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ‘‘आपने जो उल्लेख किया है वह ऐसा नहीं है, जो हुआ है। चीन शून्य-कोविड नीति का पालन कर रहा है और जमीनी हकीकत के आधार पर फैसले कर रहा है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि सीपीसी के नेतृत्व और चीनी लोगों के समर्थन से कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई सफल होगी।’’ हालांकि, उन्होंने प्रदर्शनकारियों की, राष्ट्रपति जिनफिंग के सत्ता छोड़ने की मांग से जुड़े सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
BBC के पत्रकार को पुलिस ने लगाई हथकड़ी
उधर, बीबीसी ने लंदन में जारी एक बयान में कहा, ‘‘बीबीसी अपने पत्रकार ए. लॉरेंस के साथ हुए व्यवहार को लेकर बेहद चिंतित है, जिन्हें शंघाई में विरोध प्रदर्शन को कवर करते समय गिरफ्तार किया गया था और हथकड़ी लगाई गई थी।’’ बयान में कहा गया, ‘‘पत्रकार को रिहा होने से पहले कई घंटों तक हिरासत में रखा गया। गिरफ्तारी के दौरान उन्हें पीटा गया और पुलिस ने उन्हें लात मारी। यह तब हुआ जब वह एक मान्यता प्राप्त पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे।’’
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