Purulia Arms Drop Case: पुरुलिया हथियार कांड का मास्टरमाइंड नील्स होल्क अब कभी भारत नहीं आएगा। डेनमार्क की एक कोर्ट ने होल्क के प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार की अपील नामंजूर कर दी है। अदालत का यह आदेश डेनमार्क के शीर्ष अभियोजन प्राधिकरण के खिलाफ है जिसने नील्स को विदेश भेजने के लिए हरी झंडी दे दी थी। होल्क ने 1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक विमान से भारी मात्रा में हथियार गिराने की बात कबूल की है।
'जान को हो सकता है खतरा'
डेनमार्क की कोर्ट ने कहा कि भारत क तरफ से दी गई अतिरिक्त राजनयिक गारंटी के बावजूद, यह जोखिम है कि होल्क को भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ेगा। 62 साल के होल्क ने कहा कि उसे डर है कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया गया तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। फैसले की घोषणा से पहले होल्क ने बृहस्पतिवार सुबह डेनिश रेडियो डीआर से कहा था, ''मैं न्यायाधीश के सामने जवाबदेह ठहराया जाना चाहूंगा क्योंकि मेरा मानना है कि यह एक न्यायसंगत आपात स्थिति है।''
फरार हो गया था होल्क
पुरुलिया में हथियार गिराए जाने के बाद एक ब्रिटिश नागरिक और पांच लातवियाई लोगों को भारतीय अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन होल्क भाग निकला था। भारत ने सबसे पहले 2002 में डेनमार्क से होल्क के प्रत्यर्पण के लिए कहा था। सरकार सहमत हो गई थी, लेकिन डेनमार्क की दो अदालतों ने उसके प्रत्यर्पण को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उसे भारत में यातना या अन्य अमानवीय व्यवहार का खतरा होगा। जून 2023 में, डेनमार्क ने फिर भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध पर गौर किया और कहा कि प्रत्यर्पण अधिनियम की आवश्यकताओं को पूरा किया गया है। अब कोर्ट ने नील्स होल्क को बड़ी राहत दे दी है।
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