Crude oil: भारत और रूस से कच्चे तेल का आयात पिछले पांच महीनों से धड़ल्ले से हो रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ा दिया। क्योंकि यूरोप और अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब रूस ने अच्छे आफर्स में भारत को तेल दिया। इस पर अमेरिका ने ऐतराज भी किया, लेकिन हमने उसे सही नसीहत दे दी और अपनी जरूरतें बताईं। रूस से तेल धड़ल्ले से खरीदने पर हमारे पारंपरिक तेल निर्यातक देश सउदी अरब को परेशानी हुई, भारत जैसे बड़े तेल आयातक देश के रूस से ज्यादा तेल लेने के बाद अरब ने भी भारत को लुभावने आफर्स देना शुरू कर दिया। यही कारण है कि अब पिछले 5 माह में पहली बार जुलाई में रूस से कच्चे तेल का आयात नीचे गिरा है। वहीं भारत ने अरब से पिछले 5 माह के मुकाबले जुलाई माह में ज्यादा तेल खरीदा है।
इराक से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है भारत, रूस दूसरे नंबर पर आया
हालांकि अभी भी रूस, भारत को तेल बेचने के मामले में सऊदी अरब से आगे है और इराक के बाद दूसरे नंबर पर बना हुआ है। इराक हमारा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है। वैसे सिर्फ जुलाई माह का आंकड़ा ही देखें तो भारत ने रूस से रोजाना 8 लाख 77 हजार 400 बैरल तेल खरीदा है, जो जून माह से 7.3 प्रतिशत कम है। दरअसल, जुलाई में भारत को सऊदी अरब से अच्छी और अकर्षक कीममत पर तेल मिला है, जिससे इस माह तेल खरीद में वृद्धि दर्ज की गई।
जुलाई में सऊदी अरब से तेल का आयात बढ़ा
भारत अपनी जरूरतों को 85 फीसदी के करीब तेल विदेशों से आयात करता है। पूरे विश्व में भारत तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। हालांकि जुलाई में भारत ने जून की अपेक्षा कम तेल आयात किया। जुलाई में भारत ने 4.63 मिलियन बैरल रोजाना तेल आयात किया, जो कि जून माह से 3.2 फीसदी कम था। इसका कुछ कारण तेलशोधक कंपनियां यानी रिफाइनरीज भी रहीं। जिन्होंने अगस्त माह में मेंटेनेंस काम कराने का प्लान बनाया था। मौजूदा समय में सऊदी अरब भारत को तेल सप्लाय करने के मामले में तीसरे नंबर का देश है।
रूस से तेल न खरीदने को लेकर अमेरिका बना रहा था दबाव
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जब अमेरिका व अन्य देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इस कारण से रूस से भारत की सस्ते तेल को लेकर डील हो गई। इस अमेरिका भड़क गया। लेकिन भरत ने अपनी डील जारी रखी और अपनी जरूरतें बताते हुए अमेरिको दो टूक जवाब दे दिया। इसके बाद रूस धीर धीरे भारत को तेल बेचने के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया। इससे पहले यह जगह सउदी अरब की थी।
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