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नेपाल पहुंचे CJI चंद्रचूड़, किशोरों से जुड़े साइबर अपराधों को लेकर किया अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किशोरों से जुड़े साइबर अपराधों पर दुनिया का न सिर्फ ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि इस मामले में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान भी किया है। सीजेआई ने काठमांडू में किशोरों के साइबर अपराधों पर अपनी चिंता जाहिर की। वह 3 दिनों की नेपाल यात्रा पर हैं।

नेपाल पहुंचे चीफ जस्टिस चंद्रचूड़। - India TV Hindi Image Source : PTI नेपाल पहुंचे चीफ जस्टिस चंद्रचूड़।

काठमांडू: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई.चंद्रचूड़ 3 दिनों की विदेश यात्रा पर नेपाल में हैं। उन्होंने शनिवार को काठमांडू में कहा कि प्रौद्योगिकी के त्वरित विकास की पृष्ठभूमि में नाबालिगों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अपराधों से निपटना बहुत जरूरी हो गया है। इसके लिए किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाकर एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके सामंजस्य स्थापित करना होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नेपाल के प्रधान न्यायाधीश (सीजेएन) बिश्वम्भर प्रसाद श्रेष्ठ के निमंत्रण पर नेपाल की तीन-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर यहां आए हैं।

किशोर न्याय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और उनकी अनूठी जरूरतों को पहचानना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणालियां समाज में सहानुभूति, पुनर्वास को बढ़ावा दे और पुन: एकीकरण के अवसरों को अनुकूल हों।’’ उन्होंने कहा कि किशोर न्याय की बहुमुखी प्रकृति और समाज के विभिन्न आयामों के साथ इसके अंतर्संबंधों को समझना महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास तेजी से हो रहा है और किशोर हैकिंग, साइबर क्षेत्र में किसी पर दबाव डालना, ऑनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल उत्पीड़न जैसे साइबर अपराधों में शामिल हो रहे हैं।

किशोरों से जुड़े साइबर अपराधों को रोकना होगा

डिजिटल प्लेटफार्म की गुमनामी और पहुंच प्रवेश की बाधाओं को कम करती है, जिससे युवा व्यक्ति अवैध गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘इसका तेजी से प्रसार किशोरों की ऑनलाइन खतरों के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करता है। डिजिटल युग में युवाओं को शिक्षित और सुरक्षित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है और डिजिटल साक्षरता, जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार तथा प्रभावी अभिभावक मार्गदर्शन पर जोर देना साइबर से संबंधित जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण घटक साबित होगा।’’ उन्होंने कहा कि किशोर न्याय प्रणालियों को "अंतरराष्ट्रीय सहयोग तंत्र को बढ़ाकर और किशोरों से जुड़े डिजिटल अपराधों की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति से निपटने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके सामंजस्य स्थापित करना चाहिए"।

प्रत्यर्पण और स्वदेश वापसी प्रोटोकॉल बनाना भी जरूरी

सीजेआई ने कहा, ‘‘इसमें प्रत्यर्पण और स्वदेश वापसी के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना, साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना साझा करना और सहयोग को सुविधाजनक बनाना शामिल है।" उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर, बाल संरक्षण नियमों में विशिष्ट प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि किशोर न्याय प्रणाली में शामिल सभी हितधारकों के पास बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘अक्सर, हम किशोरों के सुधार पर विचार करने के बजाय उनके द्वारा किए गए अपराधों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। इस प्रकार किशोर अपराध की जटिल प्रकृति को स्वीकार करना और एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो जाता है, जो इस तरह के व्यवहार में योगदान देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक कारकों से निपटता हो।’’

बच्चों को अपनी क्षमता पूरी करने का दें अवसर

सीजेआई ने भारत और नेपाल की किशोर न्याय प्रणालियों का विश्लेषण करते हुए कहा, "रोकथाम, हस्तक्षेप और पुनर्वास की रणनीतियों को अमल में लाकर हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जो अधिक समावेशी हो और प्रत्येक बच्चे को अपनी क्षमता पूरी करने का अवसर प्रदान करे।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किशोर न्याय सुधारात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करके एक निष्पक्ष और न्यायसंगत समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि बच्चों की भलाई को सबसे आगे रखकर और पुनर्वास एवं सहायता सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके, किशोर न्याय प्रणाली युवा अपराधियों के समग्र विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करती है। (भाषा) 

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