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चीन के साइंटिस्टों को मिली बड़ी कामयाबी, चंद्रमा से लाए सैंपल में खोजा पानी

चीन के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणुओं की खोज की है। यह खोज चांद के बारे में और अधिक जानने और समझने का अवसर देगी। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं भी खुलेंगी।

चीनी वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणुओं को खोजा (सांकेतिक तस्वीर)- India TV Hindi Image Source : FILE AP चीनी वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणुओं को खोजा (सांकेतिक तस्वीर)

बीजिंग: चीन के वैज्ञानिकों ने चांद की मिट्टी में पानी की उपस्थिति का पता लगाया है। चीनी वैज्ञानिकों को चंद्रमा की मिट्टी में पानी के अणु मिले हैं। यह जानकारी चाइनीज एकेडमी आफ साइंसेज (सीएएस) ने दी है। यह खोज चीन के चांग'ई-5 मिशन के माध्यम से संभव हो पाई है, जिसने 2020 में चांद से मिट्टी के नमूने लाकर पृथ्वी पर भेजे थे। चांग'ई-5 चीन का एक महत्त्वपूर्ण चंद्र मिशन है, जिसने दिसंबर 2020 में चांद की सतह से मिट्टी और चट्टानों के नमूने इकठ्ठा किए थे। मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के सतह की संरचना और उसकी उत्पत्ति को समझना था।

16 जुलाई को प्रकाशित हुई थी रिपोर्ट

हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार, यह अनुसंधान बीजिंग नेशनल लेबोरेटरी फॉर कंडेंस्ड मैटर फिजिक्स और सीएएस के भौतिकी संस्थान तथा अन्य घरेलू अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। अनुसंधान रिपोर्ट 16 जुलाई को पत्रिका ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में प्रकाशित हुई थी। सीएएस ने मंगलवार को कहा कि 2020 में चांग'ई-5 मिशन द्वारा लाए गए चंद्रमा की मिट्टी के नमूनों के आधार पर चीनी वैज्ञानिकों ने आणविक जल से “युक्त” एक जलयोजित खनिज पाया है। 

ये है बड़ी उपलब्धि

चीन के चांग'ई-5 मिशन द्वारा चांद की मिट्टी में पानी की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो ना केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे हमें चांद के बारे में और अधिक जानने और समझने का अवसर मिलेगा, साथ ही भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए नई संभावनाएं खुलेंगी।

भारत के चंद्रयान-1 ने क्या किया

वर्ष 2009 में, भारत के चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के सूर्य के प्रकाश वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अणुओं के रूप में जलयोजित खनिजों के संकेतों का पता लगाया था। इसके उपकरणों में नासा का मून मिनरलॉजी मैपर (एम3) भी शामिल था जो एक इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर है, जिसने चंद्रमा पर खनिजों में पानी की खोज की पुष्टि करने में मदद की थी। (भाषा)

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