China Xinjiang: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की निवर्तमान प्रमुख ने गुरुवार को संकेत दिया कि हो सकता है कि उनका कार्यालय अगले सप्ताह उनके कार्यकाल के अंत तक चीन के शिंजियांग क्षेत्र पर अपनी लंबे समय से प्रतीक्षित रिपोर्ट जारी करने के अपने वादे को पूरा नहीं कर पाए। संवाददाताओं से बात करते हुए मिशेल बेशलेट ने कहा कि उनका कार्यालय उस समय सीमा के अंदर काम पूरा करने की कोशिश कर रहा है, जो उन्होंने जून में खुद तय की थी। इससे कुछ समय पहले ही उन्होंने घोषणा की थी कि वह चार साल के एक और कार्यकाल के लिए इस पद पर नहीं बने रहना चाहेंगी। उनका मौजूदा कार्यकाल 31 अगस्त को खत्म हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के कार्यालय ने इसके संकेत नहीं दिए हैं कि उनकी जगह कौन ले सकता है। शिंजियांग के बारे में रिपोर्ट जारी करने में होने वाली देरी का मुद्दा बेशलेट के कार्यकाल के आखिरी महीनों में छाया रहा। इसके बारे में जिनेवा के कई राजनयिकों का मानना है कि उसे एक साल पहले ही पूरा कर लिया गया था। बेशलेट ने कहा कि उनके कार्यालय ने रिपोर्ट के 'नतीजों' के बारे में चीन को बता दिया है और अधिकारियों ने काफी संख्या में इस पर टिप्पणियां की हैं। यह एक आम चलन है कि संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय रिपोर्ट जारी करने से पहले संबद्ध देश को इसकी जानकारी देता है।
तथ्यात्मक त्रुटियों पर दिया जा रहा ध्यान
बेशलेट ने कहा कि उनका कार्यालय सिर्फ संभावित तथ्यात्मक त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। बीजिंग, जिन्हें जातीय उइगर और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के लिए व्यावसायिक केंद्र बताता है, उनकी स्वतंत्र मानवाधिकार समूह डिटेंशन सेंटर के तौर पर आलोचना करते हैं, जबकि अमेरिका सहित कुछ देशों ने बीजिंग पर शिंजियांग में नरसंहार करने का आरोप लगाया है। ऐसा कहा जाता है कि इन डिटेंशन सेंटरों में 10 लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को कैद करके रखा गया है। यहां इनका ब्रेन वॉश किया जाता है। जबकि महिलाओं के साथ चीन के सैनिक रेप तक करते हैं।
इनकी संपत्ति पर भी कब्जा कर लेता है चीन
ऐसी भी खबरें आती हैं कि चीन उइगर मुसलमानों की संपत्ति पर कब्जा करता है। उसने उनकी पहचान करने के लिए न केवल चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगाए हैं, बल्कि वह इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की भी मदद लेता है। चीन इन लोगों को खत्म करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहा है। वह उइगर पुरुषों की जबरन नसबंदी कराता है। दुनियाभर में चीन के इन कारनामों की निंदा होती है। लेकिन चीन खुद पर लगने वाले इन आरोपों को खारिज करता है।
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