"मौत" पर मात खाकर भी "जन्म" से जीत गया चीन, जानें कितनी घटी आबादी?
कोरोना महामारी की मार से चीन चित्त पड़ा है। कोविड के भीषण संक्रमण से चीन में मौतों का तांडव चल रहा है। अस्पताल मरीजों से तो मुर्दाघर लाशों से पटे पड़े हैं। इसके बावजूद कोविड संक्रमण से होने वाली मौतों के सच को वह छिपाने में जुटा है। यह बात अलग है कि अस्पतालों से लेकर गलियों और मुर्दाघरों तक पड़ी लाशें उसकी पोल खोल रही।
Birth Rate Decreased in China: कोरोना महामारी की मार से चीन चित्त पड़ा है। कोविड के भीषण संक्रमण से चीन में मौतों का तांडव चल रहा है। अस्पताल मरीजों से तो मुर्दाघर लाशों से पटे पड़े हैं। इसके बावजूद कोविड संक्रमण से होने वाली मौतों के सच को वह छिपाने में जुटा है। यह बात अलग है कि अस्पतालों से लेकर गलियों और मुर्दाघरों तक पड़ी लाशें उसकी पोल खोल रही हैं। चीन अपने यहां होने वाली इन ताबड़तोड़ मौतों पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह विफल है, लेकिन इसी बीच वह जन्म दर पर नियंत्रण हासिल कर चुका है। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश में वर्षों बाद जन्म दर घटने के साथ आबादी का कम होना उसके लिए किसी बड़े सुकून से कम नहीं है। आइए आपको बताते हैं कि चीन ने जन्म दर पर नियंत्रण कैसे हासिल किया और उसकी मौजूदा स्थिति क्या है?
चीन ने देश में बढ़ती बुजुर्गों की आबादी और गिरती जन्म दर के बीच पहली बार हाल के वर्षों में जनसंख्या में गिरावट आने की घोषणा की है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार देश में पिछले वर्ष की तुलना में 2022 के अंत में आबादी 8,50,000 कम रही। यह ब्यूरो हांगकांग, मकाओ और स्वशासी ताइवान के साथ-साथ विदेशी निवासियों को छोड़कर केवल चीन की मुख्य भूमि की आबादी की गणना करता है। ब्यूरो ने मंगलवार को बताया कि 1.041 करोड़ लोगों की मौत के मुकाबले 95.6 लाख लोगों के जन्म के साथ देश की आबादी 1.411 अरब रह गई। इनमें से 72.206 करोड़ पुरुष और 68.969 करोड़ महिलाएं हैं। चीन में वर्ष 2016 में ‘एक परिवार एक बच्चा’ नीति खत्म कर दी गई थी। साथ ही देश में परिवार के नाम को आगे बढ़ाने के लिए पुरुष संतान को तरजीह देने का चलन है। यह नीति खत्म करने के बाद चीन ने परिवारों को एक से अधिक बच्चों के जन्म के लिए प्रोत्साहित किया, हालांकि इसमें अधिक सफलता नहीं मिल पाई।
भारत से आबादी में चंद कदम ही आगे है चीन
चीन के शहरों में बच्चों के पालन-पोषण के अत्यधिक खर्च को अक्सर इसकी एक वजह बताया जाता है। पूर्वी एशिया के अधिकतर हिस्सों में ही ऐसा देखने को मिलता है, जहां जन्म दर में तेजी से गिरावट आई है। चीन लंबे समय से दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश रहा है, लेकिन जल्द ही भारत के इसे पीछे छोड़ने की संभावना है। भारत की अनुमानित आबादी अभी 1.4 अरब है और जो लगातार बढ़ रही है। ऐसा माना जाता है कि आखिरी बार चीन में 1950 के दशक के अंत में ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ के दौरान जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई थी। माना जाता है कि सामूहिक खेती और औद्योगीकरण के लिए माओत्से तुंग के इस विनाशकारी अभियान के कारण अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई, जिससे लाखों लोग मारे गए।
87 करोड़ लोगों की उम्र 16 से 60 के बीच
ब्यूरो के अनुसार, चीन में 16 से 59 साल की उम्र के यानी कामकाजी आयु के कुल 87.556 करोड़ लोग हैं, जो देश की कुल आबादी का 62.0 प्रतिशत है। वहीं 65 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों की कुल संख्या 20.978 करोड़ है, जो कुल आबादी का 14.9 प्रतिशत है। वर्ष 2022 में स्थायी शहरी आबादी 64.6 करोड़ से बढ़कर 92.071 करोड़ हो गई, जो कुल आबादी का 65.22 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण आबादी में 73.1 लाख की गिरावट आई। कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के जनसंख्या के आंकड़ों पर संभावित प्रभाव पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की गई। संक्रमण का पहला मामला चीन के वुहान शहर में ही सामने आया था।
संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल अनुमान लगाया था कि 15 नवंबर को दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंच गई थी और भारत 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में जल्द चीन की जगह ले लेगा। विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि 1950 के बाद पहली बार 2020 में वैश्विक जनसंख्या वृद्धि में एक प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (चीन) 2022 में तीन प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले वर्ष के 8.1 प्रतिशत के आधे से भी कम है।