यूक्रेन युद्ध के बहाने मौकापरस्त चीन ने रूस से दोस्ती का ऐसा स्वांग रचाने का प्रयास किया है कि वह भारत को पीछे छोड़ सके। बता दें कि भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी है। इसीलिए भारत ने यूरोपीय और पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद उससे कच्चे तेल की खरीददारी करता आ रहा है। इतना ही नहीं अभी तक भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है। मगर इस बीच चीन ने रूस को रिझाने के लिए नया दांव खेल दिया है। चीन ने साफ तौर पर कह दिया है कि यूक्रेन युद्ध मामले में उसका स्पष्ट राजनीतिक समर्थन रूस के साथ है। मगर वह दोनों देशों के बीच युद्ध में शांति के लिए प्रयासरत है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति लाने के लिए मध्यस्थता की भूमिका में उतरने का दावा करने वाले चीन ने दुनिया से कहा है कि वह यूक्रेन के मैदान में अब हथियार भेजना बंद करें और दोनों देशों के बीच शांति वार्ता में सहयोग करें। चीन द्वारा यूक्रेन के लिए तैनात राजदूत ली हुई ने शुक्रवार को अन्य सरकारों से अपील की है कि वे ‘‘युद्ध के मैदान में हथियारों की आपूर्ति करना बंद करें’’ और शांति वार्ता करें। हालांकि उन्होंने यूरोपीय देश की यात्रा के दौरान शांति समझौते में हुई प्रगति का कोई संकेत नहीं दिया। ली हुई की अपील ऐसे समय आई है जब अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी यूक्रेन की सेना को मिसाइलों, टैंक और अन्य हथियारों की आपूर्ति बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं जो रूसी सेना को अपने इलाके से पीछे धकेलने की कोशिश कर रही है।
मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहता है चीन
चीन की शी चिनफिंग सरकार ने कहा है कि उसका यूक्रेन-रूस युद्ध पर तटस्थ रुख है और वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है। हालांकि वह राजनीतिक रूप से रूस का समर्थन करता है। ली ने संवाददाताओं ने कहा, ‘‘चीन का मानना है कि अगर हम वास्तव में युद्ध समाप्त करना चाहते हैं, जिंदगियों को बचाना और शांति को मूर्त रूप देना चाहते हैं तो हमारे लिए जरूरी है कि हम युद्ध मैदान में हथियार भेजना बंद करें, नहीं तो तनाव में इजाफा ही होगा।
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