पाकिस्तान की मीडिया पर 'कब्जा' करना चाहता है चीन! अमेरिकी रिपोर्ट ने किया हैरान करने वाला खुलासा
दुनिया में अलग थलग पड़े पाकिस्तान की सुध यदि कोई देश लेता है तो वो चीन है। लेकिन चीन ने पाकिस्तान को 'आर्थिक गुलाम' बना रखा है। अब पाकिस्तानी मीडिया पर भी अपना दखल बढ़ाने की फिराक में है चीन। जानिए क्या है पूरा मामला?
Pakistan-China: पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के शिकंजे में फंसा हुआ है। कंगाल पाकिस्तान को जब पूरी दुनिया ने 'ठेंगा' दिखाया, तब चीन ने ही उसका साथ दिया। उसकी आर्थिक मदद की। उसे हथियार देना हो, उधार देना हो या फिर युनाइटेड नेशन में आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट कराने पर उसका पक्ष लेना हो। चीन हमेशा उसके साथ खड़ रहा है। लेकिन चीन केवल ऐसे ही नहीं पाकिस्तान को सपोर्ट करता है। इसके बदले में वह पाकिस्तान को 'आर्थिक गुलाम' बनाकर उस पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने की कुत्सित मानसिकता रखता है। इसका एक उदाहरण अमेरिका की ताजा रिपोर्ट में उजागर हुआ है।
अमेरिका की एक रिपोर्ट ने हैरान करने वाला खुलासा किया है। इसमें दावा किया गया है कि पाकिस्तान के मीडिया पर चीन नियंत्रण करना चाहता है। इसके लिए चीन अंतरराष्ट्रीय अभियानों का एक जाल तैयार कर रहा है जो पाकिस्तान समेत चीन के अन्य सहयोगी देशों में मीडिया नैरेटिव को अपने पक्ष में करना चाहता है। चीन, रूस के साथ सूचना क्षेत्र में मिलकर काम कर रहा है ताकि अपने पक्ष में दुनिया भर में माहौल बनाया जा सके और आलोचना का मुकाबला किया जा सके। इसके लिए पाकिस्तान को विश्वास में लेकर चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर को लॉन्च किया जाएगा।
आलोचना से निपटने के लिए चीन का प्लान
पाकिस्तान में चीन की महत्वकांक्षी परियोजना सीपेक (CPEC) को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी आलोचना होती है। अब चीन ने सीपेक मीडिया फोरम के जरिए इन कथित दुष्प्रचारों का मुकाबला करने का फैसला किया है। इसके लिए चीन और पाकिस्तान ने मिलकर सीपेक रैपिड रेस्पॉन्स इंफोर्मेशन नेटवर्क अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत जल्द ही चीन-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर को लॉन्च किया जाएगा।
साल 2021 में चीन और पाकिस्तान के बीच इस मुद्दे पर बातचीत भी हुई थी। इसके तहत दोनों देशों ने मिलकर एक 'नर्व सेंटर' बनाने पर चर्चा की थी, जो पाकिस्तानी मीडिया में चल रहीं खबरों को नियंत्रित करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की सरकार अपने पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाने के लिए दुनियाभर में अरबों डॉलर खर्च कर रही है। साथ ही आलोचना करने वाली खबरों जैसे ताइवान, मानवाधिकार, दक्षिण चीन सागर और घरेलू अर्थव्यवस्था संबंधित नकारात्मक खबरों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
उर्दू में अनुवाद किया जाएगा खबरों का
अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों देश संयुक्त रूप से कथित अफवाहों के खंडन और पक्ष की खबरों के प्रचार के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार करने पर भी चर्चा कर रहे हैं। साथ ही अहम खबरों का उर्दू में अनुवाद किया जाएगा ताकि लोगों के विचारों को अपने पक्ष में किया जाए।
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