चालबाज और मौकापरस्त चीन का चाल-चरित्र एक बार फिर से दुनिया के सामने आ गया है। जब-जब आतंक के खिलाफ लड़ने की बात आती है, तब-तब चीन आतंकियों के साथ ही खड़ा दिखाई देता है। इस बार फिर जब आतंकियों के खिलाफ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UNSC) में प्रस्ताव लेकर आया तो भी चीन आतंकियों के पक्ष में उतर आया। चीन ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर के नाम को काली सूची में डालने के भारत के प्रस्ताव पर UNSC में आपत्ति जताई।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब चीन ने यूएनएससी में आतंकियों का साथ दिया हो। इससे पहले भी कई आतंकियों को ब्लैक लिस्टेड करने के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव को भी चीन वीटो पॉवर लगाकर खारिज कर चुका है। चीन हमेशा अपने दोस्त और पाकिस्तानी आतंकियों का साथ देता रहा है। एक तरह से चीन ही पाकिस्तानी आतंकियों को फलने-फूलने के लिए पोषक बना हुआ है। इस बार चीन ने रऊफ के खिलाफ लाए गए भारत के प्रस्ताव का विरोध किया है। बता दें कि अब्दुल रऊफ अजहर जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का भाई है, जो कि भारत में कई आतंकी हमले और साजिश रचने का मुख्य सूत्रधार रहा है।
भारत में संसद भवन के अलावा अन्य जगहों पर भी कराए थे कई आतंकी हमले
आतंकी रऊफ का जन्म पाकिस्तान में 1974 में हुआ था। वह भारत में कई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने और उन्हें अमली जामा पहनाने में वह शामिल रहा है। इनमें इंडियन एयरलाइन्स के विमान आईसी 814 को अगवा करने, संसद पर 2001 में हमले, तथा पठानकोट में 2016 में वायु सेना के अड्डे को निशाना बनाना शामिल है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन ने जेईएम के अब्दुल रऊफ को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल तथा अल कायदा की प्रतिबंधित सूची में डालने के भारत के प्रस्ताव का विरोध किया। रऊफ अजहर पर अमेरिका ने दिसंबर 2010 पर प्रतिबंध लगाए थे। गौरतलब है कि पिछले वर्ष अगस्त चीन ने अब्दुल रऊफ को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत तथा अमेरिका के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी।
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