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Hindi News विदेश एशिया China Spy Ship: समुद्र में 7 जगहों पर फैले चीन के 'जासूसी जहाज', श्रीलंका ने एंट्री देने से किया इनकार, भारत ने किया था विरोध

China Spy Ship: समुद्र में 7 जगहों पर फैले चीन के 'जासूसी जहाज', श्रीलंका ने एंट्री देने से किया इनकार, भारत ने किया था विरोध

China Spy Ship: चीनी दूतावास ने कहा कि उन्होंने जहाज के हंबनटोटा पहुंचने की योजना को टाल दिया है। इसके पीछे की कोई वजह नहीं बताई गई। बयान में कहा गया है कि चीन और श्रीलंका के रिश्ते बेहतर हैं। और आगे भी रहेंगे।

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Highlights

  • श्रीलंका नहीं आएगा चीन का जासूसी जहाज
  • समुद्र में कई जगह फैले हैं चीन के जहाज
  • चीन ने मामले में जारी किया है बयान

China Spy Ship: चीन अपना जासूसी करने में सक्षम जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह भेज रहा था, जिसे लेकर भारत के ऐतराज के बाद श्रीलंका ने भी इसकी यात्रा स्थगित करने की मांग की थी। जहाज 11 अगस्त को बंदरगाह पर पहुंचने वाला था। इस बंदरगाह को चीन ने 99 साल के लिए लीज पर लिया है। युआंग वांग 5 जहाज को लेकर गहराते विवाद के बाद श्रीलंका की सरकार ने चीन से बातचीत की। जिसके बाद सोमवार को कोलंबो में विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने इस मसले पर चीन से बातचीत की है। अब ये जहाज 11 तारीख को हंबनटोटा नहीं आएगा। जहाज को रिफ्यूलिंग के बहाने से भेजा जा रहा था, और 17 अगस्त को इसकी वापसी बताई गई थी। ये जानकारी चीन के दूतावास ने दी थी।

चीनी दूतावास ने कहा कि उन्होंने जहाज के हंबनटोटा पहुंचने की योजना को टाल दिया है। इसके पीछे की कोई वजह नहीं बताई गई। बयान में कहा गया है कि चीन और श्रीलंका के रिश्ते बेहतर हैं। और आगे भी रहेंगे। इनकी बुनियाद को काफी मजबूत बताया गया है। इसमें श्रीलंका और चीन के विदेश मंत्री की मुलाकात का जिक्र है, जो हाल में ही की गई थी। चीन ने ये भी कहा कि वो ये स्पष्ट कर देना चाहता है कि श्रीलंका वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है। चीन ने यह भी कहा कि वह कानून के अनुसार, सभी देशों की समुद्री सीमाओं का सम्मान करता है। उसने जासूसी जहाज युआंग वांग 5 को केवल साइंटिफिक रिसर्च के लिए हंबनटोटा भेजने की बात कही है।

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समुद्र में चीन के सात जासूसी जहाज

चीन के पास जासूसी करने के लिए युआंग वांग 5 जैसे 7 जहाज हैं। जिन्हें प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में निगरानी करने के लिए उतारा गया है। इनका काम लैंड आधारित कमांडिंग सेंटर को जानकारी भेजना है। युआंग वांग 5 युआन वांग सीरीज की थर्ड जनरेशन की ट्रैकिंग शिप है। ये 29 सितंबर 2007 से सेवा में है। इसे जियांगन शिपयार्ड में बनाया गया था। जब खबर आई कि वह अपने इस जहाज को श्रीलंका भेज रहा है, तो भारत ने भी ऐतराज जताया। 

कड़ा रुख अपना रहा है भारत

भारत हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों को लेकर पारंपरिक रूप से विगत में कड़ा रुख अपनाता रहा है और श्रीलंका के समक्ष इस तरह की यात्राओं को लेकर विरोध दर्ज कराता आया है। वर्ष 2014 में कोलंबो द्वारा अपने एक बंदरगाह पर चीन की परमाणु चालित पनडुब्बी को ठहरने की अनुमति दिए जाने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। चीन अवसंरचना में निवेश के साथ श्रीलंका का प्रमुख ऋणदाता है। दूसरी ओर, भारत मौजूदा आर्थिक संकट में श्रीलंका की जीवनरेखा रहा है। वर्ष के दौरान श्रीलंका को लगभग चार अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने में भारत सबसे आगे रहा है क्योंकि यह द्वीपीय राष्ट्र 1948 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे अपने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए प्रयास कर रहे हैं और भारत ने कहा है कि वह द्वीप राष्ट्र की सहायता करना जारी रखेगा। प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने ने पिछले हफ्ते कहा था कि श्रीलंका 'मित्रता के दृष्टिकोण' के साथ पोत की यात्रा के मुद्दे को सुलझाने को तत्पर है। भारत की चिंता विशेष रूप से हंबनटोटा बंदरगाह पर केंद्रित है। 2017 में, कोलंबो ने दक्षिणी बंदरगाह को चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स को 99 साल के लिए पट्टे पर दे दिया था, क्योंकि श्रीलंका अपनी ऋण चुकौती प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में असमर्थ रहा था। इससे चीन द्वारा सैन्य उद्देश्यों के लिए बंदरगाह का उपयोग किए जाने की आशंका बढ़ गई थी।

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