China Taiwan: 'ताइवान हमारा होकर रहेगा, मगर शांति से'... आखिर किस चीज से डरा चीन? पता चल गया
China Taiwan: ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया।
Highlights
- चीन ने ताइवान को लेकर जारी किया बयान
- शांतिपूर्ण तरीके से हासिल करने की बात कही
- बाइडेन के बयान के बाद बदला चीन का रुख
China Taiwan: चीन ने ताइवान के प्रति अपने रुख को नरम करते हुए बुधवार को कहा कि स्वशासित द्वीप का चीन के अधीन आना निश्चित है लेकिन वह इसे शांतिपूर्ण तरीके से करने का प्रयास करेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल में बयान दिया था कि अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो उनका देश स्वशासित द्वीप की रक्षा करेगा। एक दिन पहले ही अमेरिका और कनाडा के युद्धपोत ताइवान जलडमरुमध्य से गुजरे थे, जिसके बाद चीन की ओर से यह बयान आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि बाइडेन के बयान के बाद चीन ने अपने रुख में बदलाव किया है।
चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल करने को लेकर बढ़ रही चिंता के बारे में पूछे जाने पर ताइवान मामले के सरकारी प्रवक्ता मा शिआओगुआंग ने कहा, ‘मैं दोहराना चाहता हूं... हम पूरी गंभीरता और ईमानदारी से शांतिपूर्ण एकीकरण की कोशिश करने के इच्छुक हैं।’ गौरतलब है कि साल 1949 के गृहयुद्ध में चीन और ताइवान अलग हो गए थे और मुख्य भूमि पर कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया था जबकि ताइवान पर प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रवादियों ने अपनी सरकार बनाई।
ताइवान मुद्दे पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान मा ने अपने जवाब में ताकत शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, जैसा कि पूर्व में वह कहते थे। उन्होंने कहा कि ताइवान या उसके अंतरराष्ट्रीय समर्थकों द्वारा किसी उकसावे की कार्रवाई करने पर चीन ‘ठोस कदम’ उठाएगा। मा ने कहा कि चीन ताइवान की मदद करने के लिए और नीतियों को लागू करेगा, चीन के साथ एकीकरण के लाभ को रेखांकित करेगा और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा, ‘मातृभूमि को एकीकृत होनी चाहिए और (यह) निश्चित तौर पर एकीकृत होगी। यह ऐतिहासिक परिपाटी है, जिसे कोई रोक नहीं सकता।’
क्या है चीन और ताइवान का इतिहास
ताइवान दक्षिण-पूर्वी चीन के तट से लगभग 160 किमी दूर एक द्वीप है, जो फूजौ, क्वानझोउ और जियामेन के चीनी शहरों के सामने है। यहां शाही किंग राजवंश का शासन चलता था, लेकिन इसका नियंत्रण 1895 में जापानियों के पास चला गया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद, ये द्वीप वापस चीनी हाथों में चला गया। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों द्वारा मुख्य भूमि चीन में गृह युद्ध जीतने के बाद, राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी के नेता च्यांग काई-शेक 1949 में ताइवान भाग गए। च्यांग काई-शेक ने द्वीप पर चीनी गणराज्य की सरकार की स्थापना की और 1975 तक राष्ट्रपति बने रहे।
चीन ने कभी भी ताइवान के अस्तित्व को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। उसका तर्क है कि यह हमेशा एक चीनी प्रांत था। ताइवान का कहना है कि आधुनिक चीनी राज्य 1911 की क्रांति के बाद ही बना था, और वह उस राज्य या चीन के जनवादी गणराज्य का हिस्सा नहीं है, जो कम्युनिस्ट क्रांति के बाद स्थापित हुआ था। दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव जारी है। आपको बता दें चीन और ताइवान के आर्थिक संबंध भी रहे हैं। ताइवान के कई प्रवासी चीन में काम करते हैं और चीन ने ताइवान में निवेश किया है।
अमेरिका और दुनिया ताइवान को कैसे देखती है?
संयुक्त राष्ट्र ताइवान को एक अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देता है। दुनिया भर में केवल 13 देश- मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिकी, कैरिबियन, द्वीपीय और वेटिकन इसे मान्यता देते हैं। वहीं अमेरिका की चीन से बढ़ती दुश्मनी के चलते उसकी नीति स्पष्ट नहीं लग रही है। जून में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा करेगा, तो अमेरिका उसकी रक्षा करेगा। लेकिन इसके ठीक बाद में बाइडेन के बयान पर सफाई देते हुए अमेरिका ने कहा कि वह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है। अमेरिका का ताइपे के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं है, फिर भी वह उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन देता है और हथियारों की आपूर्ति करता है।
साल 1997 में रिपब्लिकन पार्टी के तत्कालीन हाउस स्पीकर न्यूट गिंगरिच ने ताइवान का दौरा किया था। तब भी चीन ने ऐसी ही प्रतिक्रिया दी थी, जैसी उसने पेलोसी के दौरे के समय दिखाई। चीन के नेताओं के साथ अपनी बैठकों का जिक्र करते हुए गिंगरिच ने कहा था, "हम चाहते हैं कि आप समझें, हम ताइवान की रक्षा करेंगे।" लेकिन उसके बाद स्थिति बदल गई। चीन आज विश्व राजनीति में बहुत मजबूत शक्ति बन गया है। चीनी सरकार ने 2005 में एक कानून पारित किया था, जिसमें कहा गया कि अगर ताइवान अलग होने की बात करता है, तो उसे सैन्य कार्रवाई से मुख्य भूमि में शामिल किया जा सकता है। ताइवान की सरकार ने हाल के वर्षों में कहा है कि केवल द्वीप के 23 मिलियन लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार है और हमला होने पर वह अपनी रक्षा करेगा। 2016 से, ताइवान ने एक ऐसी पार्टी को चुना है, जो ताइवान की स्वतंत्रता की वकालत करती है।