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Hindi News विदेश एशिया G-20 में ऋण पुनर्गठन के हिस्से के रूप में जलवायु प्रावधान को जोड़ने के खिलाफ हुआ चीन, जानें क्या है पूरा मामला

G-20 में ऋण पुनर्गठन के हिस्से के रूप में जलवायु प्रावधान को जोड़ने के खिलाफ हुआ चीन, जानें क्या है पूरा मामला

G20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन की निम्न सोच सामने आ गई है। चीन ने ऋण पुनर्गठन के हिस्से के रूप में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान जलवायु प्रावधान जोड़ने के खिलाफ हो गया है। जबकि जी-20 के अन्य सदस्य देशों ने इससे पक्ष में अपनी सहमति दी है।

जी-20 शिखर सम्मेलन (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi Image Source : FILE जी-20 शिखर सम्मेलन (प्रतीकात्मक फोटो)

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान चीन की घटिया सोच का स्वरूप दुनिया के सामने आ गया है। चीन नहीं चाहता है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीब देशों की हालत में सुधार लाया जा सके। इसलिए वह इसकी खिलाफत कर रहा है। जी-20 सम्मेलन में चीन ने तीन कमजोर देशों - जाम्बिया, घाना और इथियोपिया के सरकारी ऋण पुनर्गठन के हिस्से के रूप में जलवायु परिवर्तन संबंधी प्रावधान को जोड़ने का विरोध किया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इसका प्रस्ताव जी20 फाइनेंस ट्रैक ने किया है।

सूत्रों ने बताया कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 फाइनेंस ट्रैक तीनों देशों के कर्ज पुनर्गठन के लंबे समय से लंबित मामलों को साझा कार्यक्रम के तहत निपटाने में सक्षम है और इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। सूत्रों ने कहा कि तीनों देशों के कर्ज संबंधी मुद्दों का साझा कार्यक्रम के तहत लगभग निपटान पूरा हो गया है, जबकि श्रीलंका को इस कार्यक्रम के ढांचे से बाहर रखा गया है। भारत का प्रयास कर्ज में दबे गरीब देशों को ऋण पुनर्गठन के जरिये उबारना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। बता दें कि शनिवार-रविवार को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान इन देशों की कर्ज संबंधी चिंताओं को उठाया जाएगा और संभवत: व्यापक हितों को देखते हुए कुछ सहमति बनाई जा सकती है।

अमेरिका भारत के साथ

सूत्रों ने कहा कि अमेरिका सहित जी-20 के सदस्य देश कमजोर देशों को ऋण पैकेज के हिस्से के रूप में जलवायु संबंधी प्रावधान पर जोर दे रहे हैं। ताकि इन देशों कों तंगहाली से बाहर लाने में मदद की जा सके। भारत गरीब और कमजोर देशों के लिए ऋष पुनर्गठन के पक्ष में है और इसकी जोरदार वकालत कर रहा है। मगर चीन को जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रावधान पर कुछ आपत्ति है और वह अबतक इस एजेंडा को पीछे धकेल रहा है।

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