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China on NATO: नाटो में शामिल होंगे जापान और साउथ कोरिया? दिख रही है चीन की बौखलाहट

NATO शिखर सम्मेलन के इतिहास में पहली बार साउथ कोरिया और जापान हिस्सा ले रहे हैं।

China on NATO, China, NATO Summit 2022, NATO summit, summit held in Madrid- India TV Hindi Image Source : AP FILE President Joe Biden meets virtually with Chinese President Xi Jinping.

Highlights

  • चीन की चुनौती से निपटने के लिए NATO विस्तार की तरफ देख रहा है।
  • आने वाले दिनों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भी ऐसा गठबंधन हो सकता है।
  • चीन और रूस की हालिया दोस्ती ने NATO को सावधान कर दिया है।

China on NATO: यूक्रेन के रूस पर हमले के बाद NATO के देश एक दूसरे के करीब आ गए हैं। पिछले कुछ सालों में इस संगठन की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठने लगे थे, लेकिन रूस से मिली हालिया चुनौती ने पश्चिमी देशों को एक बार फिर एकजुट करके रख दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं, यूक्रेन में जारी जंग के बीच रूस और चीन की 'दोस्ती' ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को भी अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में कई देश हैं जो NATO में शामिल होना चाहते हैं, और पश्चिमी देशों का यह संगठन भी अपना दायरा बढ़ाना चाहता है।

'एशियन NATO की तरफ कदम बढ़ रहे हैं कदम'
NATO शिखर सम्मेलन के इतिहास में पहली बार साउथ कोरिया और जापान हिस्सा ले रहे हैं। उत्तर कोरिया इस बात से बौखलाया हुआ है और उसने साफ कहा है कि यह 'एशियाई NATO' की ओर बढ़ता हुआ कदम है। वहीं, चीन भी इस बात को लेकर परेशान है कि यदि साउथ कोरिया और जापान आगे चलकर पश्चिमी देशों के साथ NATO के स्तर का सैन्य गठबंधन करते हैं तो अमेरिका उसके ठीक पड़ोस में पहुंच जाएगा। और जाहिर सी बात है, ऐसा होना चीन के लिए कहीं से भी सही नहीं होगा।

'दुनिया के लिए असल खतरा तो NATO है'
हालिया घटनाक्रम से चीन की मीडिया बुरी तरह बौखलाई हुई है, और ऐसी रिपोर्ट्स छाप रही है जिनमें दुनिया के लिए असल खतरा NATO को बताया गया है। चीन की मीडिया का कहना है कि पश्चिमी देश हमारी चुनौती को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं। हालांकि सच्चाई यही है कि NATO जहां दुनिया पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहता है, वहीं चीन नया चौधरी बनना चाहता है। ऐसे में यदि NATO का विस्तार होता है, और इसमें दक्षिण कोरिया, जापान समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देश शामिल होते हैं, तो यह चीन के लिए बहुत बड़ी चुनौती हो जाएगी।

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