China News: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सैटेलाइट तस्वीर बता ही हैं कि LAC यानी लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीन निर्माण तेज कर रहा है। वह ना केवल सड़क का जाल बिछा रहा है बल्कि यहां टावर भी लगा रहा है और झोपड़ियां भी बना रहा है। चीन की ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए बातचीतें लगातार जारी हैं। लद्दाख में एलएसी पर शांति स्थापित करने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को भी बातचीत की।
अधिकारियों का कहना है कि यह एक रूटीन मीटिंग थी। हालांकि 21 अगस्त को डेमचोक में भारतीय चरवाहों के रोके जाने के बाद दोनों तरफ से तनाव बढ़ा है। उधर कुछ नई सैटलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं जिनमें दावा किया गया है कि पैंगोंग त्सो के पास चीन लगातार निर्माण कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि पैंगोंग लेक के पास चीन चौड़ी सड़कें, टावर और ब्रिज बना रहा है। यह निर्माण वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास ही हो रहा है। चीन तेजी से ब्रिज बनाने का काम भी कर रहा है। चीन के कब्जे वाले इलाके में उत्तरी किनारे पर तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जा रहा है। सैटलाइट इमेज के मुताबिक दक्षिणी तट पर चीन ने सड़क बना दी है और कई जगहों पर अब भी काम चल रहा है।
अनुमान है कि पहले पीएलए के सैनिकों को तनाव वाले जिस क्षेत्र में पहुंचने में 12 घंटे का सामय लगता था, ब्रिज बन जाने से यह समय केवल चार घंटे का लगेगा। सड़क के अलावा कई अन्य काम भी चीन इस इलाके में कर रहा है। इसमें नए टावर, इमारत भी शामिल हैं।
चीन पर समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप
चीन ने खुद पूर्वी लद्दाख में समझौतों का उल्लंघन किया था, जिसके कारण यहां गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हुई। हाल ही में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल तान केफेई ने कहा था कि चीन-भारत का सीमा विवाद दो देशों के बीच का विवाद है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सभी स्तरों पर प्रभावी बातचीत को जारी रखा हुआ है और द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से स्थिति को ठीक से निपटाने के लिए सहमत हुए हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन पर बरसे
हाल ही में ब्राजील के साउ पाउलो में आयोजित एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि इस वक्त हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन के बीच 1990 के दशक में समझौते हुए थे। विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया है। आपको पता है कि कुछ साल पहले गलवान में क्या हुआ था। उस समस्या का अभी तक समाधान नहीं हुआ है और इसका साफतौर पर असर पड़ रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने भारत पर 1993 और 1996 के समझौतों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
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