जंग के बीच चीन कर रहा रूस की मदद, NATO के खिलाफ बना रहा नया गुट? जानें 'ड्रैगन' की कूटनीति
हाल के समय में ईरान के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गए। इस तरह चीन की भूमिका इस जंग में एक अलग ही तरह उभरकर आ रही है। यही बात अमेरिका को डरा रही है। क्योंकि उत्तर कोरिया, ईरान, चीन और रूस का एक अलग गुट बनता जा रहा है।
Russia-China: रूस और यूक्रेन की जंग को एक साल हो रहा है। इस पर अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों ने हाल के समय में काफी बयान दिए हैं। इन बयानों से अब दुनिया की कूटनीति एक अलग ही 'लेवल' पर जा रही है। हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दावा किया कि यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को चीन हथियार और अन्य गोला बारूद देने की सोच रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कि चीन लगातार पिछले एक साल के दौरान कई तरह से रूस का सपोर्ट कर रहा है। चीन ने तो उत्तर कोरिया को भी सपोर्ट किया है। यही नहीं, हाल के समय में ईरान के राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गए। इस तरह चीन की भूमिका इस जंग में एक अलग ही तरह उभरकर आ रही है। यही बात अमेरिका को डरा रही है। क्योंकि उत्तर कोरिया, ईरान, चीन और रूस का एक अलग गुट बनता जा रहा है। जानिए इन सबके बीच भारत को क्या फायदा या नुकसान होगा?
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन के इस दावे के बाद कि चीन लगातार रूस की मदद कर रहा है। इस मामले में अब 'ड्रैगन' रूस को हथियार सामग्री देने पर भी विचार कर रहा है। दो शक्तिशाली देशों को साथ आने की संभावनाओं को देखते हुए अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि अगर ऐसा होता है तो चीन को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि इस जंग के बीच चीन इस जंग की स्थिति में रूस को हथियार सप्लाई करता है तो दोनों देशों की करीबी और बढ़ जाएगी। यह भी सच है कि ऐसे में रूस जो है, वो भारत के मुकाबले चीन के और करीब चला जाएगा।
अमेरिका ने चीन की इन हरकतों का किया खुलासा
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की एक कंपनी पहले से ही यूक्रेन में हो रही सारी घटनाओं का रियल टाइम डेटा और सेटेलाइट फोटो रूस के साथ शेयर कर रही थी जिस पर अमेरिका ने बैन लगा दिया है। वहीं एक प्रोफेसर का कहना है कि, 'रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने पर चीन एक 'पीस प्लान' जारी करेगा।' इसके लिए वह फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन से भी बातचीत कर रहा है।
चीन और रूस के बीच कारोबार भी रिकॉर्ड स्तर पर
अब्दुल मुक्तदर खान ने आगे कहा कि यह सच है कि इस साल रूस के साथ भारत का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर हुआ है. रूस भारत का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश बन चुका है. लेकिन दूसरी तरफ चीन और रूस के बीच व्यापार 190 अरब डॉलर है. जो भारत के कुल व्यापार का लगभग 6 गुना है. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मुक्तदर खान ने कहा, "रूस के अच्छे सहयोगी देश के रूप में चीन और भारत के बीच सीधी टक्कर है. लेकिन अगर चीन किसी भी तरह इस समय रूस को हथियार पहुंचा देता है, तो रूस के लिए यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस मुश्किल परिस्थिति में चीन भारत से बेहतर दोस्त है."
ईरान और रूस के बीच बन रहे नए समीकरण
रूस और ईरान के बीच भी हथियार को लेकर बातचीत जारी है। रूस, ईरान को SU-35 देगा। इसके बदले ईरान रूस को ड्रोन की सप्लाई करेगा। ऐसे में रूस-चीन-ईरान का एक समूह बन रहा है जो पश्चिमी देशों के खिलाफ है। इसमें उत्तर कोरिया भी शामिल है, जिसे चीन का समर्थन प्राप्त है और वह लगातार बैलेस्टिक मिसाइल दाग रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में भारत पर तो सवाल उठेगा ही कि आप खुद को रूस का एक अच्छा दोस्त बताते हैं, आपकी पोजिशन क्या है?
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