बीजिंग: अमेरिका और चीन के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही है और निकट भविष्य में इसके कम होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में चीन की सरकार ने अमेरिका के उस कानून की शुक्रवार को निंदा की जिसमें शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों से बंधुआ मजदूरी कराने के आरोपों पर इस अस्थिर प्रांत से आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है। उसने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने वाला और उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप वाला बताया। चीन ने देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में ज्यादातर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की शिकायतों को खारिज किया और उन्हें झूठा करार दिया।
चीन पर लगते रहे हैं मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने गुरुवार को एक विधेयक पर हस्ताक्षर किये जिसमें चीन के शिनजियांग प्रांत से तब तक सामान के आयात पर रोक का प्रावधान है जब तक कारोबारी यह साबित नहीं करते कि माल बिना बंधुआ मजदूरों के बनाया गया है। चीन पर पिछले कुछ साल में अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ से उइगर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने इसे ‘सच्चाई और तथ्यों से आंखें मूंदकर चीन के शिंनझियांग प्रांत में मानवाधिकार संबंधी हालात को दुर्भावनापूर्ण ढंग से कलंकित करने’ का प्रयास बताया।
चीनी अधिकारियों पर जबरन गर्भपात के भी लगे हैं आरोप
उन्होंने कहा, ‘यह अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संचालित करने वाले बुनियादी नियमों का गंभीर उल्लंघन करता है और यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।’ विदेशी सरकारों और अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों को चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग में शिविरों में बंद किया गया है। इसके अलावा चीन के अधिकारियों पर जबरन गर्भपात, बंधुआ मजदूरी जैसे आरोप लगते रहे हैं। हालांकि चीन के अधिकारियों का इन आरोपों को खारिज करते हुए यह कहना है कि ये शिविर रोजगार के लिए प्रशिक्षण एवं कट्टरपंथ को रोकने के लिए लगाए गए हैं।
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