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Hindi News विदेश एशिया China: दुनिया के इन देशों में हैं चीन के सैन्य ठिकाने, एक कश्मीर के है काफी करीब, यहां देखिए पूरी लिस्ट

China: दुनिया के इन देशों में हैं चीन के सैन्य ठिकाने, एक कश्मीर के है काफी करीब, यहां देखिए पूरी लिस्ट

China Foreign Military Bases: चीन ने मध्य एशियाई देश तजाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थित गोर्नो-बदाख्शां में सैन्य चौकी स्थापित की है। चीन के इस सैन्य ठिकाने के बारे में 2019 में पता चला था। इसके बाद वाशिंगटन पोस्ट ने एक खबर प्रकाशित कर बताया कि चीनी सैना तजाकिस्तान में मौजूद है।

China Foreign Military Bases- India TV Hindi Image Source : INDIA TV China Foreign Military Bases

Highlights

  • चीन ने कई देशों में बनाए सैन्य ठिकाने
  • तजाकिस्तान में भी सेना की मौजूदगी
  • सोलोमन द्वीप में भी बना लिया नेवल बेस

China Foreign Military Bases: विदेश में किसी भी देश के सैन्य ठिकाने उसकी सैन्य ताकत और पहुंच की खुद ब खुद गवाही देते हैं। यही वजह है कि क्यों दुनिया के तमाम देश अन्य देशों में अपने सैन्य ठिकाने बनाने के लिए बेताब दिखाई देते हैं। अमेरिका के विदेश में सबसे ज्यादा सैन्य ठिकाने हैं। ब्रिटेन इस मामले में दूसरे स्थान पर और फ्रांस तीसरे स्थान पर है। ये देश पहले से ही सैन्य और आर्थिक महाशक्तियां हैं। वर्तमान में चूंकी अब चीन भी खुद को महाशक्ति बनाने के लिए हाथ पैर पीट रहा है, इसलिए वह भी विदेश में सैन्य ठिकाने बनाने में होड़ कर रहा है। वह कर्ज के जाल में फंसाकर देशों को अपने अंगूठे के नीचे दबाने की भरपूर कोशिश में है। 

पहले चीन ढेर सारा कर्ज देकर गरीब और मध्यम आय वाले देशों को फंसा लेता है और फिर जब वो देश कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं होता, तो उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर वहां अपना सैन्य ठिकाना बना लेता है। सोलोमन द्वीप पर हाल ही में ये चीज देखने को मिली है। चीन सबसे पहले किसी देश को अपना गुलाम बनाने के लिए ढेर सारा कर्ज देता है और फिर वहां अपना सैन्य ठिकाना बना लेता है। वह विदेश में अधिक से अधिक सैन्य ठिकाने बनाकर अपने दुश्मनों भारत और अमेरिका पर दबाव डालने की कोशिश करता है। तो चलिए अब जान लेते हैं कि चीन के ये सैन्य ठिकाने आखिर किन देशों में हैं। 

तजाकिस्तान

चीन ने मध्य एशियाई देश तजाकिस्तान के दक्षिणपूर्व में स्थित गोर्नो-बदाख्शां में सैन्य चौकी स्थापित की है। चीन के इस सैन्य ठिकाने के बारे में 2019 में पता चला था। इसके बाद वाशिंगटन पोस्ट ने एक खबर प्रकाशित कर बताया कि चीनी सैना तजाकिस्तान में मौजूद है। उसने तस्वीरों और साक्षात्कार के आधार पर ये दावा किया। ये ठिकाना अफगानिस्तान के वखान कॉरिडोर से महज कुछ मील की दूरी पर ही स्थित है। हालांकि चीन और तजाकिस्तान दोनों में से किसी ने आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया है। वखान कॉरिडोर अफगानिस्तान को कश्मीर से जोड़ता है। हालांकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की वजह से भारत की अफगानिस्तान से जमीनी स्तर पर सीधी कनेक्टिविटी नहीं है। वखान कॉरिडोर की सीमा उत्तर में तजाकिस्तान, दक्षिण में पाकिस्तान और पूर्व में चीन से लगती है। पाकिस्तान और चीन दोनों ही इस कॉरिडोर पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं लेकिन इसके लिए तालिबान तैयार नहीं है।

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कंबोडिया

चीन ने कंबोडिया में ताइवान की खाड़ी पर स्थित रीम नेवल बेस को 99 साल की लीज पर लिया था। जो 2010 तक अमेरिका का सैन्य ठिकाना हुआ करता था। चीन ने कंबोडिया को कर्ज देकर लियू में इस नेवल बेस को हड़प लिया। यहां से वह अपने कट्टर दुश्मन वियतनाम पर नजर रख सकता है। मौका मिलने पर चीन वियतनाम को समुद्र में घेर भी सकता है। इसके अलावा वह दक्षिण चीन सागर में भी अपनी मौजूदगी बढ़ा सकता है। यहां से चीनी सेना मलक्का जलडमरूमध्य में दुश्मन देशों के युद्धपोतों पर नजर बनाए रख सकती है। केवल इतना ही नहीं बल्कि भारत का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान एवं निकोबार का सैन्य ठिकाना भी यहां से महज 1200 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में चीन युद्ध की स्थिति में अपने नेवल बेस से सीधे भारत के अंडमान एवं निकोबार पर हमला कर सकता है।

जिबूती

चीन का अफ्रीकी देश जिबूती में भी नौसैन्य अड्डा है। इसे बनाने का काम साल 2001 में शुरू हुआ था, जो अब पूरा हो गया है। चीन ने यहां से हिंद महासागर में अपनी सैन्य गतिविधियां करना शुरू कर दिया है। यह चीन का पहला सैन्य ठिकाना भी है। हाल में जारी हुईं कुछ सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाई दिया है कि चीन ने जिबूती में अपने युद्धपोत खड़े करना शुरू कर दिया है। हालांकि चीन ने निर्माण कार्य शुरू होने से पहले सपोर्ट बेस के तौर पर इसे लीज पर लिया था। लेकिन इसका सैन्य किले के तौर पर निर्माण किया गया, जहां दुनिया के किसी भी देश के लिए हमला करना आसान नहीं होगा। चीन यहां से भारत पर नजर बनाए रख सकता है।

सोलोमन द्वीप

चीन ने हाल ही में प्रशांत महासागर के देश सोलोमन द्वीप के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उसने इस देश को बड़ी तादाद में पैसा दिया था, जो ये चुकाने में नाकाम रहा। इसकी वजह से चीन ने सोलोमन सरकार पर अपना नियंत्रण हासिल कर लिया। दो दिन पहले की ही बात है, जब अमेरिकी सेना के युद्धपोत को सोलोमन द्वीप के सैन्य ठिकाने पर आने से मना कर दिया गया था। इससे ये संदेह बन रहा है कि चीनी सेना सोलोमन द्वीप तक पहुंच गई है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका शुरू से ही कह रहे हैं कि चीन सोलोमन में अपना नौसेना ठिकाना बनाकर प्रशांत महासागर पर राज करना चाहता है। हालांकि चीन हमेशा ही इस तरह के दावों को नाकरता रहा है।

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इन देशों में भी हो सकते हैं सैन्य ठिकाने

ऐसी आशंका है कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी चीनी सेना मौजूद है, जिसकी लोगों को कम ही जानकारी है। चीनी सेना श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, केन्या, नाइजीरिया, कैमरून, घाना, मालदीव, चाड और मैक्सिको में मौजूद हो सकती है। हालांकि चीन के इन देशों में स्थायी सैन्य ठिकाने नहीं हैं। चीनी सेना इस देश की सेना के साथ इनके की सैन्य ठिकानों पर रहकर अपने मिशन को अंजाम देती है। 

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