China Taiwan Conflict: चीन कर रहा बड़ी तैयारी, 26 साल बाद ताइवान के खिलाफ फिर दोहरा सकता है ये नापाक हरकत, जिसे आज भी नहीं भूली दुनिया
अमेरिका और चीन ताइवान को लेकर 26 साल पहले भी एक दूसरे के आमने सामने आ गए थे। ये विवाद भी एक यात्रा को लेकर ही शुरू हुआ था। तब ताइवान के एक नेता ने अमेरिका की यात्रा की थी।
Highlights
- चीन और ताइवान के बीच फिर बढ़ा विवाद
- ऐसी ही विवादित यात्रा 26 साल पहले भी हुई
- चीन ने ताइवान पर दाग दी थी परमाणु मिसाइल
China Taiwan Conflict: चीन अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर आग बबूला हुआ बैठा है। उसी वजह से उसने बदला लेने की धमकी तक दे डाली है। पेलोसी के ताइवान से निकलते ही उसने घोषणा करते हुए कहा कि उसकी नौसेना, वायु सेना और अन्य बलों का सैन्य अभ्यास पड़ोसी देश के आसपास छह क्षेत्रों में जारी है। इस सप्ताह हुई पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने ये सैन्य अभ्यास शुरू किए हैं। चीन दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। वह विदेशी अधिकारियों के ताइवान दौरे का विरोध करता रहा है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' ने कहा कि ये अभ्यास 'नाकेबंदी, समुद्री लक्ष्यों पर हमले, जमीनी लक्ष्यों पर हमले और वायुक्षेत्र नियंत्रण' पर केंद्रित संयुक्त अभियान हैं। गुरुवार से शुरू हुए अभ्यास रविवार तक चलेंगे। आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएलए चार से सात अगस्त तक छह अलग-अलग क्षेत्रों में सैन्य अभ्यास करेगा, जो ताइवान द्वीप को सभी दिशाओं से घेरता है। पेलोसी के मंगलवार को ताइवान पहुंचने पर चीन ने सैन्य अभ्यास तेज कर दिए हैं। सरकार-संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि पुन: एकीकरण अभियान के तहत ताइवान के आसपास पीएलए का सैन्य अभ्यास जारी रहेगा और द्वीप की नाकाबंदी के अभ्यास नियमित हो जाएंगे।
सैन्य विशेषज्ञों ने कहा कि पेलोसी की यात्रा पर अपना गुस्सा निकालने के लिए पीएलए ताइवान पर ड्रोन भेज सकता है और आने वाले हफ्तों में नियमित सैन्य अभ्यास कर सकता है। ऐसी स्थिति में लोगों को साल 1995 में हुई घटना याद आ रही है। तब भी चीन और ताइवान ऐसी ही एक यात्रा को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने आ गए थे। तब चीन ने ताइवान पर एक परमाणु मिसाइल तक दाग दी थी। राजधानी ताइपे के ऊपर से उड़ान भरते समय मिसाइल पूर्वी तट से 19 मील दूर गिर गई। गनीमत रही कि मिसाइल हमले के समय परमाणु हथियार से लैस नहीं थी।
अमेरिका ने 1979 में ताइवान से की दोस्ती
साल 1979 में अमेरिका ने ताइवान को चीन से अलग एक द्वीप के रूप में मान्यता दी। इसी साल से अमेरिका और ताइवान के बीच द्विपक्षीय रिश्तों की शुरुआत हुई थी। इस दौर में अमेरिका के चीन के साथ भी अच्छे रिश्ते थे। हालांकि चीन के विरोध के बाद अमेरिका ने कहा था कि वह आने वाले समय में ताइवान के साथ रिश्तों में कमी कर देगा। लेकिन हुआ इसके बिलकुल विपरीत। अमेरिका ने खुद को चीन से दूर करना शुरू कर दिया, क्योंकि वह शीत युद्ध के समय रूस का समर्थन कर रहा था। तभी से अमेरिका और ताइवान के रिश्ते मजबूत होने लगे।
इसी तरह की विवादित यात्रा भी हुई थी
अमेरिका और चीन ताइवान को लेकर 26 साल पहले भी एक दूसरे के आमने सामने आ गए थे। ये विवाद भी एक यात्रा को लेकर ही शुरू हुआ था। तब ताइवान के एक नेता ने अमेरिका की यात्रा की थी। इस बार भी अमेरिकी नेता की ताइवान यात्रा के चलते बवाल मचा हुआ है। लेकिन अंतर केवल इतना है कि चीन की सेना अमेरिका के खिलाफ पहले से अधिक तैयार है। तब भी चीन इतना उग्र था कि उसने ताइवान की सीमाओं की परवाह किए बिना तुरंत युद्धाभ्यास शुरू कर दिया था। इसे ताइवान की घेराबंदी के रूप में देखा गया और द्वीप के हवाई और जल यातायात को कई घंटों के लिए बंद करना पड़ा था। इस बार भी चीन यही सब कर रहा है।
9-10 जून 1995 को, ताइवान के तत्कालीन राष्ट्रपति ली तेंग-हुई न्यूयॉर्क में कॉर्नेल विश्वविद्यालय में भाषण देने के लिए अमेरिका गए थे। ली तेंग-हुई ताइवान के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए पहले राष्ट्रपति थे। इससे ठीक एक साल पहले चीन के विरोध को देखते हुए अमेरिका ने ली तेंग-हुई को वीजा देने से मना कर दिया था। इसके बावजूद ताइवान और अमेरिकी कांग्रेस के दबाव के चलते अमेरिकी विदेश विभाग ने चीन की आपत्ति को दरकिनार करते हुए ताइवान के राष्ट्रपति को अपने देश आने की मंजूरी दे दी।
चीनी मीडिया ने ली को गद्दार और चीन को बांटने वाला कहा था। ली ने कॉर्नेल में अपने भाषण में ताइवान को रिपब्लिक ऑफ चाइना कह दिया था। जिससे बीजिंग और गुस्सा हो गया। दरअसल साल 1992 में चीन और ताइवान के बीच एक समझौते पर दस्तखत हुए थे, जिसमें वन चाइना पॉलिसी का पालन करने पर सहमति बनी थी। चीन ने ली के भाषण को उस समझौते का उल्लंघन बताया और अभ्यास की घोषणा की।
चीन ने ताइवान की सीमाओं के पास दागीं मिसाइल
ताइवान के राष्ट्रपति के अमेरिका दौरे से नाराज चीन ने ताइवान की सीमाओं के पास मिसाइल दाग दी थीं। क्योंकि उन्होंने ताइवान को एक अलग देश के तौर पर संबोधित किया था। चीन ने इसके बाद जुलाई 1995 से मिसाइल टेस्टिंग करना शुरू कर दिया। चीन ने ताइवान के पास अपने एक लाख सैनिक तैनात किए और बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर रख दिया। इसके अलावा, पीएलए ने जुलाई और नवंबर 1995 से तट पर हमला करने के लिए अभ्यास शुरू कर दिया।
इसके बाद चीन ने 18 अगस्त से परमाणु हथियारों की टेस्टिंग शुरू की। इन टेस्ट के दौरान चीन की कई मिसाइल ताइवान के बंदरगाह शहरों काऊशुंग और कीलुंग से महज 25 मील की दूरी पर जाकर गिरीं। फिर 9 मार्च, 1996 में चीन की परमाणु हमले करने में सक्षम 15 डोंग फांग मिसाइल ताइवान के ऊपर से उड़ती हुई गईं और उसके पूर्वी तट से 19 मील की दूरी पर जाकर गिरीं।