भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। गत 3 वर्षों से पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की चीन से लगी सीमा पर विवाद के चलते दोनों देशों के रिश्ते बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन के बीच 19 बार से अधिक सैन्य स्तरीय वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच संक्षिप्त वार्ता भी हुई थी। इस दौरान दावा किया गया था कि दोनों देश सीमा क्षेत्र से तेजी से अपने सैनिकों को हटाने पर सहमत हुए हैं। मगर इसके कुछ दिन बाद ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश और आक्साईचिन को चीन में दर्शाने वाला मैप जारी कर बखेड़ा खड़ा कर दिया। इससे भारत-चीन के रिश्ते फिर बिगड़ गए। भारत की गणना भी अब दुनिया के सुपर पॉवर देशों में होने लगी है। पिछले एक दशक में भारत ने अभूतपूर्व तरक्की हासिल की है। यह बात चीन भी समझता है। इसीलिए वह अब भारत को अमेरिका से भी ज्यादा बड़ा और खतरनाक दुश्मन मानता है।
वहीं रूस भारत और चीन के बीच बढ़ती दुश्मनी से चिंतित है। अगर भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंदिता खत्म नहीं होती तो रूस को इसमें अपना नुकसान दिखता है। क्योंकि ऐसा होने से अमेरिका समेत नाटो से रूस की लड़ाई कहीं न कहीं कमजोर पड़ जाती है। रूस को पता है कि चीन के साथ यदि भारत भी मिल जाए तो भारत-चीन और रूस दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं, जिनका मुकाबला कोई भी देश नहीं कर सकता। इसलिए रूस भारत और चीन के बीच दोस्ती कराने की पहल में जुटा है।
रूस ने कहा- भारत-चीन के संबंधों में चाहते हैं सुधार
रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने शुक्रवार को कहा कि रूस, भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार चाहता है और दोनों देशों के साथ उसके संबंध बहुत अच्छे हैं। बीजिंग द्वारा अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन के साथ-साथ ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर क्षेत्रीय दावा करने वाले तथाकथित 'मानक मानचित्र' जारी किए जाने के सवाल पर अलीपोव ने मामले को तवज्जो नहीं दी। उन्होंने कहा, ''आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि रूस-चीन सीमा पर भी कुछ विसंगतियां हैं। हम चीनी पक्ष के साथ इस मुद्दे को तूल नहीं देते और जैसा कि हमने देखा है कि भारत भी इस मुद्दे को तूल देने से बचता है। मगर हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हों।
भारत से क्यों घबराता है चीन
भारत को अमेरिका से भी बड़ा दुश्मन मानने के लिए चीन के पास कई खास वजहें हैं। पहला कारण यह है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा उभरता बाजार है, जहां दुनिया के बड़े-बड़े देश अथाह इनवेस्टमेंट कर सकते हैं। अमेरिका की कई कंपनियां चीन से रिश्ते खराब होने के बाद अब भारत में ठौर तलाश रही हैं। तमाम यूरोपीय, अरब, अफ्रीकी और आस्ट्रेलियाई महाद्वीप के देश भारत की इमानदार छवि और लोकतांत्रित व भरोसेमंद देश होने के चलते व्यापार को इच्छुक हैं। दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत का व्यापार बढ़ता जा रहा है और वह सभी देश चीन पर से निर्भरता खत्म करते जा रहे हैं। यह चीन के लिए बड़ा झटका है। अब भारत अंतरिक्ष से लेकर प्रौद्योगिकी और विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति कर ली है, जिससे चीन को खतरा सताने लगा है। भारत ने डिफेंस क्षेत्र और आर्थिक व व्यापार क्षेत्र में कई गुना तरक्की हासिल कर आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। इससे चीन को भारत से खतरा सता रहा है।
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