China blames US: चीन और अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह एशिया प्रशांत देशों को बीजिंग के खिलाफ भड़का रहा है और चीन को इन देशों का जो समर्थन है, उसे 'हाईजैक' कर रहा है यानी उन देशों के समर्थन को हथियाने का प्रयास कर रहा है। चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन पर आरोप लगाते हुए एक दिन पहले शांगरीला डायलॉग में लगाये गये उनके ‘बदनाम करने वाले आरोपों’ को खारिज कर दिया।
'चीन को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा यूएस'
ऑस्टिन ने कहा था कि चीन ताइवान पर अपने दावे और अपनी ‘अस्थिरता वाली सैन्य गतिविधि’ से क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने इंडो—पैसेफिक देशों के साथ अच्छे कॉर्डिनेशन की जरूरत पर बल दिया। इस पर चीन के विदेशमंत्री ने कहा कि यह चीन को इंडो—पैसेफिक क्षेत्र में अलग—थलग करने का प्रयास है।
चीनी रक्षामंत्री ने साफतौर पर कहा कि अमेरिका इंडो-पैसेफिक देशों का एक छोटा समूह बनाना चाहता है और इस तरह वह चीन पर दबाव बनाना चाहता है। यह अमेरिका की चीन को घेरने और टकराव पैदा करने की रणनीति है।
चीन की बात में कितना दम?
सच तो यह है कि जो चीन के रक्षामंत्री अमेरिका पर आरोप लगा रहे हैं, वैसी डिप्लोमेसी तो खुद चीन कर रहा है। वह सोलोमन द्वीप समूह पर नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है।
आॅस्ट्रेलिया को घेरने के लिए वह फिजी और दूसरे देशों को अपनी ओर करना चाहता है। पिछले साल अमेरिकी अधिकारियों ने चीन पर हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण करने का आरोप लगाया था, लेकिन चीन ने इसे नियमित परीक्षण करार दिया था।
चीन के रक्षामंत्री ने इस पर भी सफाई दी कि यह एक हाइपरसोनकि मिसाइल थी। इस पर सफाई देते हुए कहा कि कई देश ऐसी मिसाइलों का परीक्षण कर रहे हैं। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए। चीन इस तरह विस्तारवाद की नीति पर चलकर दक्षिण चीन सागर और इंडो-पैसेफिक एरिया में अपनी दादागिरी करना चाहता है। वहीं वन चाइना पॉलिसी पर अमेरिका ने चीन की आलोचना की।
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