ढाकाः बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्ज़ा इस्लाम आलमगीर का कहना है कि हमारे संविधान में प्रावधान है कि उन्हें (अंतरिम सरकार को) 90 दिन दिए जाने चाहिए। लेकिन विशेष परिस्थितियों में अगर उन्हें इसकी ज़रूरत है तो इसे बढ़ाया जा सकता है। हमने हमेशा स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारा विज़न क्या है। हमने कहा है कि हमने इसे 2030 का विज़न दिया है। हमने कहा है कि निश्चित रूप से देश में सुधार होंगे। मुख्य रूप से न्यायिक सुधार, संवैधानिक सुधार और प्रशासनिक सुधार किए जाएंगे।
भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश करेंगेः आलमगीर
मिर्ज़ा इस्लाम आलमगीर ने कहा कि हम भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश करेंगे, जो मुख्य कारणों में से एक है। हम लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों को सही और शुद्ध रूप से बहाल करेंगे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी और लोग किसी भी राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक रैलियों में शामिल होने के लिए स्वतंत्र होंगे और उनके लोकतांत्रिक अधिकार स्थापित होंगे। हम एक उदार लोकतांत्रिक बांग्लादेश और समृद्ध बांग्लादेश देखना चाहते हैं।
इसलिए जजों के खिलाफ लोगों का है गुस्सा
हमें विश्वास है कि हम ऐसा करने में सक्षम होंगे। दुर्भाग्य से पूर्व प्रधानमंत्री की सरकार ने पूरी न्यायपालिका का राजनीतिकरण कर दिया और लोगों ने उनके खिलाफ़ काफ़ी नाराज़गी जताई। लोगों, वकीलों, नागरिक समाज और छात्रों में गुस्सा था। इसलिए स्वाभाविक रूप से उन्हें कुछ कड़वे अनुभव हुए। इसलिए मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को इस्तीफा देना पड़ा।
मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यक नेताओं के साथ करेंगे बैठक
वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस मंगलवार को ढाका में देश के अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के 5 अगस्त को इस्तीफे के बाद से देश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों और बर्बरता की घटनाओं की पृष्ठभूमि में यह बैठक होने जा रही है।
बांग्लादेशी इस्लामी विद्वान अबुल फैयाज मोहम्मद खालिद हुसैन वर्तमान में यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के सलाहकार हैं। उन्होंने सोमवार को ढाका में पत्रकारों को बताया, "वर्तमान सरकार सांप्रदायिक सद्भाव में विश्वास करती है और अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करती है।
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