Pakistan Vs TTP: भारत से हर जंग में मुंह की खाने के बावजूद गीदड़भभकी से बाज नहीं आने वाले पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों के सामने घुटने टेक दिए हैं। पाकिस्तान ने पहली बार सार्वजनिक रूस से स्वीकार किया है कि उसके अंदर आतंकवादियों से लड़ने का दम नहीं है। यह बात सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे, लेकिन चौंकिये मत...क्योंकि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वयं अपने मुंह से यह बात कही है। आखिर पाकिस्तान ने इतनी जल्दी आतंकवादियों के सामने घुटने कैसे टेक दिए और अफगानिस्तान पर अब उसकी राय क्या है, आइए आपको सबकुछ बताते हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि उनकी सरकार आतंकवाद और आतंकवादियों से लड़ने में अपने दम पर सफल नहीं हो पाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की नई सरकार भी अकेले इन आतंकवादियों से लड़कर सफल नहीं हो सकती। जरदारी ने कहा कि मैं नहीं मानता कि अफगानिस्तान की सरकार अपने दम पर आतंकवादियों से लड़ने में सफल हो पाएगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए भी मैं यही कहूंगा कि हम अकेले दम पर आतंकवादियों से नहीं लड़ सकते। उन्होंने यह भी कहा कि उन आतंकवादी संगठनों के साथ पाकिस्तान की सरकार कोई बातचीत नहीं करेगी जो देश के कानूनों और संविधान का सम्मान नहीं करते हैं।
इमरान पर लगाया टीटीपी के प्रति तुष्टीकरण का आरोप
सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के साथ एक साक्षात्कार में बिलावल ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि अगर हम अफगान अंतरिम सरकार के साथ काम कर सकते हैं, जिसका इन समूहों पर प्रभाव है, तो हम अपनी सुरक्षा कायम रखने में सफल होंगे।’’ उन्होंने कहा कि देश का नया नेतृत्व, राजनीतिक और सैन्य दोनों, उन आतंकवादी संगठनों से कोई बातचीत नहीं करेगा जो देश के कानूनों और संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान को उम्मीद है कि नई अफगान सरकार टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करेगी, बिलावल ने कहा, ‘‘हम दोनों आतंकवाद के शिकार हैं। हमें मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का पूरा उद्देश्य पाकिस्तान को एक लोकतांत्रिक देश बनाना है। हमारा मानना है कि चरमपंथ और आतंकवाद से निपटने का एकमात्र तरीका लोकतंत्र है।
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