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पाकिस्तान से आई बड़ी खबर, जल्द आम चुनाव हो पाना मुश्किल, इस फैसले की वजह से फंस रहा पेंच

पाकिस्तान में हाल के महीनों में भारी राजनीतिक उथलपुथल रही है। संसद भंग होने के बाद चुनाव टालने की हर कोशिश की गई। ऐसे में पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को एक नया पासा फेंक दिया है, जिससे आम चुनाव में और देरी हो सकती है।

पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम अनवरउल हक काकर- India TV Hindi Image Source : FILE पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम अनवरउल हक काकर

Pakistan News: पाकिस्तान से बड़ी खबर आ रही है। यहां हाल ही में संसद भंग होने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति तो हो गई है, लेकिन अब तय समय पर चुनाव हो पाना मुश्किल लग रहा है। चुनाव में देरी हो सकती है, इसका कारण पाकिस्तान का निर्वाचन आयोग है। दरअसल, पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने नये सिरे से परिसीमन का फैसला किया है, जो चुनाव में देरी की वजह बन सकता है।

पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को नई जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का नये सिरे से परिसीमन करने का फैसला किया है, जिससे आम चुनाव में देरी हो सकती है। संसद भंग होने के बाद 90 दिन की संवैधानिक अवधि में चुनाव होने हैं। निर्वाचन आयोग की घोषणा पाकिस्तान के नवनियुक्त कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर के 18 सदस्यीय मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण के कुछ ही समय बाद आई है। यह सरकार आम चुनाव तक आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान का शासन संभालेगी। 

इमरान के जल्द चुनाव कराने के अरमानों पर फिर रहा पानी

पाकिस्तान में हाल के महीनों में भारी राजनीतिक उथलपुथल रही है। इमरान खान को सत्ता से बाहर फेंकने के बाद सत्ता में आई शहबाज शरीफ सरकार देश के अंदर जहां महंगाई और देश की कंगाली की हालत से जूझती रही। वहीं दूसरी ओर सरकार को इमरान खान की ओर से भी विरोध का सामना करना पड़ा। ये बात अलग है कि शहबाज सरकार के कार्यकाल में पूर्व पीएम इमरान खान पर इतने केस लाद दिए गए, जिससे आसानी से उबर पाना खान साहब के लिए मुश्किल है, लेकिन इमरान खान शहबाज सरकार से लगातार चुनाव करवाने की बात कहते रहे, लेकिन कुछ नहीं हो पाया। संसद भंग हो गई। अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री के भरोसे पाकिस्तान चल रहा है। ऐसे समय में 90 दिनों में चुनाव की उम्मीद भी अब धुंधली होती जा रही है। चुनाव आयोग ने परिसीमन का रोड़ा अटका दिया है।

मार्च तक चुनाव टालने के मूड में थी शहबाज सरकार

शहबाज सरकार ने कार्यकाल पूरा होने से सिर्फ तीन दिन पहले जो संसद इसलिए भंग करवाई थी, क्योंकि उससे चुनाव कराने की अवधि में और ज्यादा समय मिल जाएगा। तकनीकी आधार पर पाकिस्तान में चुनाव कराने की समय सीमा दो महीने से बढ़कर तीन महीने हो गई। इस तरह उसे 30 अतिरिक्त दिन और मिल जाते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही संसद भंग हो गई थी। तब चुनाव आयोग को चुनाव कराने के लिए 90 दिन मिल गए थे। अब चुनाव आयोग ने परिसीमन का पासा फेंक दिया है। इससे भी चुनाव में और देरी हो सकती है।\

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