इस्लामाबाद हाईकोर्ट जब इमरान खान के मसले पर सुनवाई कर रहा था, ठीक उसी वक्त कैबिनेट मंत्रियों की मीटिंग कर रहे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। दरअसल शहबाज शरीफ इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से बिगड़े हालात और राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए पाकिस्तान में इमरजेंसी और मार्शल ला लगाने की तैयारी कर रहे थे। इमरजेंसी लगाने का यह विचार शहबाज के दिमाग में उस वक्त भी आया था, जब इमरान की गिरफ्तारी के महज 48 घंटे में पूरे देश के हालात बेकाबू हो गए। मगर गठबंधन के साथी इसके लिए तैयार नहीं हुए। अन्यथा देश में अब तक इमरजेंसी लग गई होती।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की गठबंधन सरकार इस वक्त कठिन स्थिति में है। इसे अपने कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की नाटकीय गिरफ्तारी के मद्देनजर अराजकता, हिंसा, विरोध और अशांति से निपटने के लिए गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। 48 घंटों के भीतर खराब हो रही राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करने के लिए सरकार को आपात बैठक बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। 9 मई से, जब नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) के अधिकारियों ने रेंजर्स सैनिकों के साथ इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) में अल-कादिर ट्रस्ट भूमि घोटाले के मामले में इमरान खान को गिरफ्तार किया, तो 48 घंटे में पूरे देश में अराजकता फैल गई।
स्थिति को काबू में करने के लिए इमरजेंसी पर विचार करने लगे थे शरीफ
इमरान की गिरफ्तारी के बाद पीटीआइ समर्थकों ने सैन्य प्रतिष्ठानों और आवासों को निशाना बनाया। अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में लूटपाट और तोड़फोड़ की गई। गिरफ्तारी के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। सरकार के सूत्रों ने कहा, स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के सफल मतदान के बाद सत्ता में आई शहबाज सरकार को देश में आपात स्थिति लागू करने और इसे सैन्य प्रतिष्ठान को सौंपने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। संघीय सरकार ने पाकिस्तान डेमोकेट्रिक मूवमेंट (पीडीएम) की समानांतर बैठक के साथ-साथ एक दिवसीय कैबिनेट बैठक की। अंदरूनी जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने देश में आपातकाल की स्थिति को लागू करने और फिर सैन्य प्रतिष्ठान के नियंत्रण में चुनाव की ओर बढ़ने का विकल्प सुझाया। हालांकि, इस सुझाव का पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) और मुताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने कड़ा विरोध किया।
अक्टूबर 2023 में हों चुनाव
बैठक में पीपीपी और क्यूएमएम ने इस बात पर जोर दिया गया कि चुनाव उनके दिए गए समय पर यानी अक्टूबर 2023 में होने चाहिए और इससे पहले कोई आपात स्थिति घोषित नहीं की जानी चाहिए। बता दें कि पिछले 72 घंटों की अराजकता और राजनीतिक अशांति बाद में देशव्यापी उत्सव में बदल गई जब पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय (एससीपी) और बाद में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने इमरान खान को उनके खिलाफ कई मामलों में जमानत दे दी और उन्हें कुछ दिनों के लिए एक स्वतंत्र व्यक्ति घोषित कर दिया। सरकार की ओर से, पीपीपी के दिए गए समय पर आम चुनाव कराने के वर्जन ने पीएमएल-एन नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि इसके गढ़ पंजाब प्रांत वह जगह है, जहां एक कार्यवाहक सरकार है। पहले यहां इमरान खान की पार्टी की सरकार थी। पीएमएल-एन प्रांत में अपनी ताकत फिर से हासिल करना चाहता है और उस सिंहासन को पुन: प्राप्त करना चाहता है जो पहले इमरान खान के हाथों खो दिया था।
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