ढाका: बांग्लादेश में लंबे समय से चल रहे देशव्यापी अशांति के बाद जन सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरे का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री शेख हसीना एक्शन में आ गई हैंं। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा ‘इस्लामी छात्र शिबिर’ पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया है। इससे कई मुस्लिम संगठनों में दहशत फैल गई है। ऐसा माना जा रहा है कि अभी कई और संगठनों पर इस तरह की आतंकवाद रोधी कार्रवाई हो सकती है। बांग्लादेश में हिंसा को भड़काने में इन दोनों संगठनों की सबसे ज्यादा संलिप्तता पाई गई है। कुछ अन्य संगठनों के बारे में भी पता चला है, सुरक्षा एजेंसियां उनके बारे में भी इनपुट जुटा रही हैं।
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में इस्लामिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई। यह पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख सहयोगी है। बांग्लादेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर देशभर में हुए छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। सरकार ने आरोप लगाया कि जमात-ए-इस्लामी उस आंदोलन का फायदा उठा रही है, जिसमें कम से कम 150 लोग मारे गए।
पीएम हसीना के नेतृत्व वाले गठबंधन का फैसला
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14-दलों गठबंधन की बैठक के बाद हुआ है। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जमात को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया निर्णय 1972 में ‘‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग’’ करने के कारण लगाए गए प्रारंभिक प्रतिबंध के 50 वर्ष बाद आया है। (भाषा)
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