ढाका: बांग्लादेश में एक तरफ हिंदुओं पर हमले तेज हुए हैं, दूसरी तरफ कट्टर इस्लामवादी खालिद जिया को भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी कर दिया गया है। बता दें कि उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया। इससे हिंदुओं पर हमले और तेज होने की आशंका बढ़ गई है। इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें सात साल के कारवास की सजा सुनाई थी। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी। जिया (79) को 2018 में जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में ढाका की एक अदालत ने दोषी करार दिया था।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें सात साल की कैद की सजा सुनाई गई थी और उन पर 10 लाख टका (बांग्लादेशी मुद्रा) का जुर्माना भी लगाया गया था। समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति ए.के.एम.असदुज्जमां और न्यायमूर्ति सैयद इनायत हुसैन की पीठ ने जिया की अपील को स्वीकार करते हुए निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के फैसले को पलट दिया। वहीं, डेली स्टार ने अपनी खबर में कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने 2011 में तेजगांव थाने में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, जिसमें जिया और तीन अन्य पर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के वास्ते धन जुटाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
हाईकोर्ट ने सजा को कर दिया था 5 से बढ़ाकर 10 साल
बीएनपी की अध्यक्ष को जिया अनाथालय न्यास भ्रष्टाचार मामले में एक विशेष अदालत द्वारा पांच साल के कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद आठ फरवरी, 2018 को पुरानी ढाका सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर 2018 को उनकी सजा बढ़ाकर 10 साल कर दी थी। बाद में उन्हें जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया। जिया मार्च 1991 से मार्च 1996 तक और फिर जून 2001 से अक्टूबर 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं।
वकील की मौत पर हिंदुओं पर लगाया हत्या का आरोप
बांग्लादेश के चटगांव शहर में एक वकील की मौत हो जाने पर इसका आरोप हिंदुओं पर लगा दिया गया है। वकील की मौत बांग्लादेश में एक प्रमुख हिंदू नेता की गिरफ्तारी को लेकर सुरक्षाकर्मियों और हिंदू प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई थी। पुलिस ने सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के आरोप भी लगाया है और कम से कम 30 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की मंगलवार को सुरक्षाकर्मियों और ‘‘बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत’’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के अनुयायियों के बीच झड़प के दौरान मौत हो गई। दास को राजद्रोह के मामले में चटगांव की एक अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करने और जेल भेजे जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। (भाषा)
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