पाकिस्तान ने इस फायदे के लिए अपनों को दिया धोखा! वो एक फोन कॉल, जिसके 48 घंटे बाद मारा गया Al-Zawahiri, तालिबान गुस्सा, भारत को टेंशन!
पाकिस्तान ही अकेला ऐसा देश है, जो अमेरिका के किलर ड्रोन को यहां से गुजरने के लिए रास्ता दे सकता है। यहां ये बात इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान और तालिबान का रिश्ता इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है।
Highlights
- पाकिस्तान और अमेरिकी सेना प्रमुखों ने की थी बात
- अमेरिकी ड्रोन के पाकिस्तान से गुजरने की संभावना
- अमेरिकी से पाकिस्तान को मिल सकता है बड़ा फायदा
Al-Zawahiri Pakistan: अमेरिका ने अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक अल-कायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को अफगानिस्तान में ड्रोन हमला कर ढेर कर दिया है। अमेरिका ने इस हमले के लिए खाड़ी देश से काबुल तक अपना घातक ड्रोन भेजा था, जिसने निंजा मिसाइल दागकर जवाहिरी का खेल खत्म कर दिया। इस पूरे खेल में जिसके नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो शख्स और कोई नहीं बल्कि पाकिस्तान सेना का प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा है। बाजवा और अमेरिकी सेना के जनरल के बीच फोन पर हुई बातचीत के ठीक 48 घंटे बाद ही जवाहिरी को मौत के घाट उतारा गया है।
अमेरिका की इस हरकत को लेकर तालिबानी समर्थक पाकिस्तान पर भड़क रहे हैं और पाकिस्तानी राजदूत के निष्कासन की मांग कर रहे हैं। इस बीच भारत के लिए चिंता बढ़ सकती है। क्योंकि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच दोस्ती बढ़ रही है। इन दिनों पाकिस्तान गरीबी के एक बुरे दौर से गुजर रहा है और पूरी दुनिया से कर्ज की भीख मांग रहा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है और यही कारण है कि पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स कहे जाने वाले पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को अमेरिका के सामने झोली फैलाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
बातचीत के बाद जवाहिरी का खात्मा
बाजवा और अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी की बातचीत के बाद जवाहिरी का खात्मा हो गया। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने अमेरिका के इस पूरे ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अमेरिका का ड्रोन पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होते हुए अफगानिस्तान गया था। हालांकि पाकिस्तान ने इस दावे को खारिज कर दिया है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि पाकिस्तान अकेला ऐसा देश है, जहां से अमेरिकी ड्रोन गुजरकर गया होगा। सेंट्रल एशिया में अमेरिका की ईरान के साथ दुश्मनी और रूस के साथ तनाव के कारण यह संभव नहीं है कि उसका ड्रोन इनके इलाकों से गया हो।
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान ही अकेला ऐसा देश है, जो अमेरिका के किलर ड्रोन को यहां से गुजरने के लिए रास्ता दे सकता है। यहां ये बात इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पाकिस्तान और तालिबान का रिश्ता इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के समय तालिबान को खुला समर्थन दिया था और उसके आतंकियों को पनाह भी देता आया है। लेकिन अब तालिबान की करीबी टीटीपी से बढ़ रही है और वह उसके आतंकियों को अफगानिस्तान में पनाह दे रहा है। टीटीपी पाकिस्तान का लोकल तालिबान है, जिसका पूरा नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान है। ये संगठन पाकिस्तान सेना के खिलाफ घातक हमले करता रहता है।
भारत के लिए टेंशन क्यों बढ़ेगी?
इसके अलावा अब तालिबान भारत के साथ भी अपना रिश्ता मजबूत करना चाहता है, ताकि देश की डूबी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए मदद हासिल कर सके। इससे पाकिस्तानी निजाम खुश नहीं हैं। दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगेलमन का कहना है कि जब अमेरिका ने एबोटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारा था, तब उसके पाकिस्तान के साथ रिश्ते बिगड़ गए थे। लेकिन अब आने वाले सालों में जवाहिरी की मौत से पाकिस्तान को बड़ा फायदा हो सकता है। जो संभव है कि उसी की मदद से की गई है। एक ध्यान देने वाली बात ये भी है कि जवाहिरी की पत्नी पाकिस्तान में रहती थी लेकिन तालिबान शासन लौटते ही वह अपने पति के साथ काबुल चली गई।
पाकिस्तान के इस धोखे से तालिबान समर्थक भड़क गए हैं और उनका मानना है कि यह हमला अमेरिका ने नहीं बल्कि पाकिस्तान ने किया था। वे पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वे काबुल में पाकिस्तानी राजदूत को हिरासत में लेने की भी मांग कर रहे हैं। इस ऑपरेशन के सफल होने के बाद अब पाकिस्तान को बड़ा फायदा मिल सकता है। उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से जल्द ही कर्ज मिल जाएगा। इस कर्ज के लिए अमेरिका से ग्रीन सिग्नल मिलना जरूरी था। इसके साथ ही पाकिस्तान एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट से भी बाहर आ सकता है।
पाकिस्तान को आतंकियों को पनाह देने के आरोपों के साथ ग्रे लिस्ट में डाला गया था। पाकिस्तान भारत में लगातार आतंकी हमले कराता रहा है। अमेरिका की मदद से पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट से बाहर आना भारत के लिए झटका साबित हो सकता है। इसके अलावा तालिबान अगर इस पूरे मामले में प्रतिक्रिया नहीं देता है तो अमेरिका उसे अफगानिस्तान का जब्त पैसा दे सकता है। जवाहिरी काबुल में तालिबान सरकार के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी की शरण में रह रहा था। जिसे पाकिस्तान का पालतू कुत्ता भी कहा जाता है। हक्कानी नेटवर्क के जन्म के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार माना जाता है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि जवाहिरी पर हुए हमले में हक्कानी का बेटा और दामाद भी मारा गया है। अब पूरी दुनिया की नजर हक्कानी के ऊपर है कि वो आगे क्या करता है।