कश्मीर से हटा था अनुच्छेद 370 और 35 ए, अब भारत के हित में श्रीलंका लगाएगा 13 ए
आपको बता दें कि श्रीलंका में 13वां संशोधन जो बहुसंख्यक सिंहली और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच की जातीय समस्या को हल करने के लिए प्रस्तावित किया गया था, न केवल युद्ध-ग्रस्त उत्तर में बल्कि सिंहल बहुसंख्यक दक्षिण में भी लागू किया जाएगा।
Jaishankar's Visit to Sri Lanka: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद से ही पाकिस्तान परेशान है। मगर मोदी सरकार के इस कदम से आतंकियों की कमर टूट गई है। जम्मू-कश्मीर धीरे-धीरे आतंक मुक्त प्रदेश की ओर आगे बढ़ रहा है। भारत के हित में श्रीलंका भी अपने यहां संविधान में संशोधन करके 13 ए लगाने जा रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे ने दावा किया है कि यह काम भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस हफ्ते होने वाले श्रीलंका दौरे से पहले ही कर लिया जाएगा। राष्ट्रपति ने भारत की मध्यस्थता वाले संविधान में 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने का आश्वासन दिया है। आइए आपको बताते हैं कि श्रीलंका में 13 ए लगने से भारत का क्या हित जुड़ा हुआ है?
आपको बता दें कि श्रीलंका में 13वां संशोधन जो बहुसंख्यक सिंहली और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच की जातीय समस्या को हल करने के लिए प्रस्तावित किया गया था, न केवल युद्ध-ग्रस्त उत्तर में बल्कि सिंहल बहुसंख्यक दक्षिण में भी लागू किया जाएगा। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने रविवार को उत्तरी शहर जाफना में आयोजित राष्ट्रीय थाई पोंगल महोत्सव में भाग लेते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने घोषणा किया कि अगले सप्ताह राजनीतिक नेताओं के साथ चर्चा करने के बाद सुलह की दिशा में सरकार के कदमों पर एक बयान फरवरी में सार्वजनिक किया जाएगा। विक्रमसिंघे ने यह भी आश्वासन दिया कि लापता लोगों के परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए सरकारी आयोग के काम में तेजी लाई जाएगी।
35 वर्ष पहले भारत के हस्तक्षेप से पेश हुआ था श्रीलंका में 13 वां संशोधन
तमिलों की समस्या के समाधान के उद्देश्य से वर्ष 1987 में भारत के हस्तक्षेप के बाद भारत-श्रीलंका शांति समझौते के तहत श्रीलंका के संविधान में 13वां संशोधन पेश किया गया था। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का मकसद जातीय संघर्ष को हल करना था। उस समय श्रीलंका सशस्त्र बलों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच गृहयुद्ध जैसी स्थिति थी, जिसमें एक अलग प्रांत की मांग की जा रही थी।
जातीय संकट का समाधान खोजने का है प्रयास
देश में तमिल बहुल उत्तरी और पूर्वी प्रांतों को राजनीतिक शक्तियों को हस्तांतरित कर जातीय संकट का समाधान खोजने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। 13वें संशोधन के तहत प्रांतीय परिषद (पीसी) प्रणाली देश को सिंहल बहुसंख्यक क्षेत्रों सहित नौ प्रांतों में विभाजित करने वाली सत्ता साझा करने की व्यवस्था पेश की गई थी। पीसी सिस्टम एक बार पूरी तरह से लागू होने के बाद, भूमि, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, आवास और पुलिस जैसे क्षेत्रों पर स्वशासन का अधिकार होगा। बहुसंख्यक सिंहली चरमपंथी दल 13ए का, विशेष रूप से केंद्र से पुलिस जैसी शक्तियों को साझा करने का कड़ा विरोध करते रहे हैं। भारत विशेष रूप से 2009 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से श्रीलंका से 13ए को लागू करने का आग्रह कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2021 में श्रीलंका दौरे के दौरान इस आग्रह को फिर से दोहराया था।