Japan news: टोक्यो में एक अमेरिकी राजनयिक ने चीन की ‘बढ़ती आक्रामक समुद्री गतिविधियों’ की आलोचना करते हुए मंगलवार को उन्हें संसाधन संपन्न हिन्द-प्रशांत जलमार्ग की सुरक्षा के लिए खतरा बताया। गौरतलब है कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों जापान और फिलीपीन के साथ समुद्री सुरक्षा समझौता करना चाहता है, ऐसे में उसका यह बयान महत्वपूर्ण है। अमेरिका के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रेमंड ग्रीनी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून(International Law) की उपेक्षा और बीजिंग की आक्रामक गतिविधियों का लक्ष्य क्षेत्र में उसके नियंत्रण को बढ़ाना है।
हिन्द-प्रशांत जलक्षेत्र पर कोई भी देश हावी नहीं हो सकता है
तीनों देशों के अधिकारियों के बीच बैठक से पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए ग्रीनी ने कहा, ‘‘खास तौर से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) की आक्रामक समुद्री गतिविधियां हमारे जलमार्गों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि बल प्रयोग और प्रत्यक्ष धमकी के जरिए हिन्द-प्रशांत जलक्षेत्र पर कोई भी देश हावी नहीं हो सकता है। हम बीजिंग की उकसावे की कार्रवाइयों की आलोचना करने से नहीं बच रहे। उन्होंने कहा कि चीन की कार्रवाई में पूर्वी और दक्षिणी चीन सागरों का सैन्यीकरण, विदेशी मछुआरों की नौकाओं और अन्य नावों को परेशान करना, समुद्री संसाधनों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना शामिल है।
सैन्य और सेना पर खर्च के मामले में चीन दूसरे स्थान पर है, जबकि अमेरिका पहले स्थान पर है। चीन पिछले कुछ वर्षों से लगातार अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। हालांकि उसका कहना है कि पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) का लक्ष्य सुरक्षा/रक्षा और उसके सम्प्रभू अधिकारों की सुरक्षा है। लेकिन पड़ोसी देश जापान चीन को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा के रूप में देखता है और ताइवान के आसपास बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित भी है। गौरतलब है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है।
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